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अमरनाथ यात्रियों के लिए एडवायजरी, न करें स्वास्थ्य की अनदेखी

हर साल होने वाली कई श्रद्धालुओं की मौत को ध्यान में रखते हुए अमरनाथ यात्रियों के लिए एडवायजरी जारी की गई है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 11:21 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 11:21 AM (IST)
अमरनाथ यात्रियों के लिए एडवायजरी, न करें स्वास्थ्य की अनदेखी

 रोहित जंडियाल, जम्मू।  अमरनाथ की यात्रा शुरू होने में मात्र दस दिन रह गए हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की हृदयाघात से कोई मौत न हो, इसके लिए बोर्ड व स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुटा है। अभी तक देखा गया है कि यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए गए सभी प्रबंध दुर्गम मार्ग, कम तापमान व हेल्थ एडवाइजरी की अनदेखी के चलते विफल हो जाते हैं।

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हृदय रोग विशेषषज्ञों का कहना है कि यात्रा पर जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। यात्रा के लिए सरकार ने इस बार भी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत श्रद्धालु का ईसीजी, ब्लड प्रेशर, मधुमेह की जांच के अलावा कई टेस्ट हो रहे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भी़ड़ के चलते अक्सर यह टेस्ट नहीं हो पाते। आस्था में डूबे मरीज स्वयं भी अपनी बीमारी छुपाते हैं। यात्रा के दौरान यह परेशानी बढती है और हृदयाघात का कारण बनती है।

यात्रा के दोनों मार्ग बालटाल और पहलगाम काफी दुर्गम हैं। पैदल यात्रियों को कई जगह चलने में परेशानी होती है। पहलगाम मार्ग पर शेषषनाग से पहले गणेशटॉप की चढाई काफी कठिन है। वहीं बालटाल मार्ग पर भी कई जगह च़़ढाई में दिक्कतें आती हैं। दोनों मार्ग पर जगह--जगह पडी बर्फ, तापमान में निरंतर कमी भी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य बिगाड़ देती है। माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हृदय रोग विशेषषज्ञ डॉ. उज्ज्वल का कहना है कि पहाड़ी मार्गो पर चलने के सभी आदी नहीं होते, जिससे मौत अधिक होती है। हृदय रोग के मरीज को तभी बचाया जा सकता है, जब तुरंत उसका इलाज हो।

जीएमसी में हृदय रोग विशेषषज्ञ डॉ. सुशील शर्मा का कहना है कि श्रद्धालु अपने स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र को ही स्वास्थ्य की गारंटी मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। यात्रा मार्ग पर जगह- जगह ग्लेशियर हैं और तापमान में भी कमी है। जितनी ठंड होगी, दिल को पंपिंग की उतनी ही जरूरत प़़डेगी, लेकिन ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसा हो नहीं पाता। इसलिए हृदयाघात के अधिक मामले सामने आते हैं। पिछले साल यात्रा के दौरान पंजतरणी में ड्यूटी देने वाले डॉ. विनोद खजूरिया के अनुसार उनके सामने जितने श्रद्धालुओं की मौत हुई, उसका कारण ऑक्सीजन की कमी और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही सबसे अधिक थी।

पंजतरणी से भवन तक सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र स्वास्थ्य के लिहाज से पंजतरणी से लेकर भवन तक सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं। यहीं पर सबसे अधिक मौतें होती हैं। यहां ऑक्सीजन की कमी है। तापमान में कमी और मार्ग का एक ब़़डा भाग ग्लेशियर पर होना भी है। दवाई लेना बंद न करें डॉ. उज्ज्वल के अनुसार कई मरीजों की मौत का कारण दवाई न लेना है। पहले से दवाइयां ले रहे कई श्रद्धालु यात्रा के दौरान दवाई लेना बंद कर देते हैं। यही उनकी मौत का कारण बनता है। बीमारी को न छिपाएं अस्थमा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग से पी़ि़डत व्यक्ति आस्था में आकर कई बार अपनी बीमारी को छुपा लेते हैं और यात्रा के दौरान लापरवाही बरतते हैं। अगर इन बीमारियों से पीडित लोग यात्रा करने से परहेज करें तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।  

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