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यमुना प्रदूषण मुक्त होने पर ही ब्रज में होली

ब्रज के संत रमेश बाबा की अगुवाई में वृंदावन से यमुना नदी बचाने के लिए शुरू हुई पद यात्रा ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की कोटवन सीमा से पूरे लावलश्कर के साथ हरियाणा में होडल के पास करमन में प्रवेश किया। इस दौरान यात्रा में शामिल लोगों का जोरदार स्वागत किया गया। हरियाणावासियों के प्यार और समर्थन से अभिभूत पद

By Edited By: Published: Tue, 05 Mar 2013 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2013 11:19 AM (IST)
यमुना प्रदूषण मुक्त होने पर ही ब्रज में होली

ऋषि दीक्षित, पलवल। ब्रज के संत रमेश बाबा की अगुवाई में वृंदावन से यमुना नदी बचाने के लिए शुरू हुई पद यात्रा ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की कोटवन सीमा से पूरे लावलश्कर के साथ हरियाणा में होडल के पास करमन में प्रवेश किया। इस दौरान यात्रा में शामिल लोगों का जोरदार स्वागत किया गया। हरियाणावासियों के प्यार और समर्थन से अभिभूत पदयात्रियों ने यहां एक निजी स्कूल में पड़ाव डाल दिया। वे मंगलवार की सुबह आठ बजे दिल्ली की ओर कूच किए हैं।

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यमुना के सपूत यह निश्चय कर यात्रा पर निकले हैं कि इस बार ब्रज में होली तभी खेली जाएगी, जब हथिनीकुंड बैराज से मोक्षदायिनी सूर्यपुत्री यमुना के बंधन खुल जाएंगे और वह प्रदूषण मुक्त हो जाएगी। दिल्ली के लिए कूच करने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों के लोग शामिल हैं। वृहद पदयात्रा की तैयारी मुख्य आयोजक संत रमेश बाबा और उनके अनुयाइयों ने दो साल पहले ही शुरू कर दी थी, जिसे एक मार्च को मूर्तरूप दिया गया।

संत रमेश बाबा का कहना है कि जब तक केंद्र और प्रदेश सरकारें यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती हैं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली पहुंचने पर पदयात्री क्या करेंगे और किस तरह यमुना को हथिनीकुंड बैराज से मुक्त कराएंगे, यह अभी रणनीति के तहत गुप्त रखा गया है। दूसरी तरफ, संत रमेश बाबा के शिष्य महेश का कहना है कि दिल्ली में आंदोलनकारी संसद का घेराव भी कर सकते हैं। जंतर-मंतर पर भी डेरा डाल सकते हैं पर अभी कुछ तय नहींकिया गया है। लेकिन यह जरूर है कि दिल्ली पहुंच कर ये पदयात्री चुपचाप बैठने वाले नहीं हैं। यह सरकार के लिए कोई न कोई परेशानी जरूर पैदा करेंगे, जिससे कि वह कृष्णप्रिया यमुना को हथिनीकुंड से मुक्त करने के लिए मजबूर हो जाए। उन्होंने बताया कि पदयात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है, लोगों और जनप्रतिनिधियों का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है।

उमा की हुंकार से सियासी गर्माहट हथिनीकुंड जाना है, यमुना को मुक्त कराना है.। संकल्प और भाव वही, लेकिन माहौल बता रहा था कि यमुना पदयात्रा की भंगिमा अब बदल चुकी है। दिल्ली की ओर बढ़ रहे पदयात्रियों के बीच आकर भाजपा नेता उमा भारती ने जब यमुना मैया के जयकारे के साथ हुंकार भरी, तो यमुना भक्तों में नई ऊर्जा का संचार हो गया। हरियाणा के कोटवन सीमा से कुछ दूरी पहले पहुंची उमा ने गंगा-यमुना-गौ के जयकारे, वृंदावन बिहारी लाल और राधे-राधे के उद्घोष के साथ उद्बोधन शुरू किया। उमा ने कहा कि उन्हें वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस यात्रा में शामिल होने के लिए भेजा है। दिल्ली दरबार से लगभग सौ किमी पहले पदयात्रा में फहरी इस भाजपाई पताका से अब साफ हो गया है कि यमुना भक्तों की इस पदयात्रा से केंद्र सरकार को सियासी सिरदर्द तो पैदा होना तय है।

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