रेल नीर घोटाले के आरोपियों पर कसेगा मनी लांड्रिंग का शिकंजा
शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में रेल नीर की जगह सस्ते पानी की आपूर्ति करने वाले आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा भी कस सकता है। ईडी इनके खिलाफ मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने की तैयारी में है। इसके लिए सीबीआइ से एफआइआर की प्रति व
नई दिल्ली: शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में रेल नीर की जगह सस्ते पानी की आपूर्ति करने वाले आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा भी कस सकता है। ईडी इनके खिलाफ मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने की तैयारी में है। इसके लिए सीबीआइ से एफआइआर की प्रति व अन्य दस्तावेज मांगे गए हैं। आरोपियों के यहां से सीबीआइ के छापे के दौरान 20 करोड़ रुपये नकद मिलने के बाद इस केस में ईडी की दिलचस्पी बढ़ गई है।
आरोप है कि राजधानी, शताब्दी और अन्य प्रीमियम ट्रेनों में कैटरिंग का ठेका लेने वाली सात फर्मे रेल नीर के बजाय सस्ता बोतलबंद पानी सप्लाई कर रही थी। आइआरसीटीसी से उन्हें रेल नीर 10.50 रूपये प्रति बोलत मिलता था, लेकिन इसकी जगह जो पीडीडब्ल्यू नाम के ब्रांड का सस्ता पानी सप्लाई किया जाता था, उसकी कीमत प्रति बोतल 5.70 से सात रुपये है।
इस तरह प्रति बोतल ये कंपनियां लगभग पांच रूपये का मुनाफा कमा रही थी। आशंका है कि इस पूरे धंधे में इन कंपनियों ने करोड़ों रुपये कमाएं होंगे। ईडी इस कमाई का आकलन कर मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत उन्हें जब्त करेगी। इसके साथ सीबीआइ के छापे में मिले 20 करोड़ रुपये भी जब्त किए जाएंगे।
सीबीआइ इस मामले में तत्कालीन चीफ कामर्शियल मैनेजर (कैटरिंग) एमएस चालिया और संदीप सिलास सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है और उनसे सीबीआइ की हिरासत में पूछताछ की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने के बाद ईडी इन आरोपियों से नए सिरे से पूछताछ करेगा।