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राष्ट्रपति के पुत्र ने कहा, तापस को माफ कर दो

लोकसभा चुनाव के दौरान अमर्यादित टिप्पणी करने वाले बांग्ला अभिनेता व तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल को कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी ने भी 'क्लीनचिट' दे दी। जंगीपुर से सांसद व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने कहा कि पाल को माफ कर देना चाहिए क्योंकि यह जुबान फिसलने का मामला है। चुनाव प्रच

By Edited By: Published: Thu, 03 Jul 2014 10:04 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jul 2014 10:04 PM (IST)

कोलकाता, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव के दौरान अमर्यादित टिप्पणी करने वाले बांग्ला अभिनेता व तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल को कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी ने भी 'क्लीनचिट' दे दी। जंगीपुर से सांसद व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने कहा कि पाल को माफ कर देना चाहिए क्योंकि यह जुबान फिसलने का मामला है।

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चुनाव प्रचार के दौरान एक वीडियो में तापस ये कहते दिखाई देते हैं कि तृणमूल के लोगों को हाथ लगाया तो माकपाइयों के घर लड़के भेजकर रेप करा देंगे। वीडियो सामने आने के बाद तापस की चौतरफा खिंचाई हुई थी और उन्होंने माफी मांग ली। पार्टी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उन्हें माफ कर दिया लेकिन अन्य विपक्षी दल अब भी उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। इस बीच राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत का ये बयान तापस के लिए बड़ी राहत है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि तापस के माफी मांगने के बाद ये मामला यहीं खत्म हो जाना चाहिए। गौरतलब है कि दिसंबर 2012 में दिल्ली दुष्कर्म कांड के बाद हो रहे प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए अभिजीत ने कहा था कि हर मुद्दे पर कैंडल मार्च का फैशन चल पड़ा है। लड़कियां दिन में सज-धज कर कैंडल मार्च निकालती हैं और रात में डिस्को जाती हैं। उनके इस बयान की काफी निंदा हुई थी।

तापस के साथ ममता को भी घेरने की तैयारी

तापस मुद्दे पर विपक्षी दल तृणमूल सांसद के साथ मुख्यमंत्री को भी घेरने की तैयारी में हैं। इस बाबत कलकत्ता हाई कोर्ट में बुधवार को एक मुकदमा दायर हो चुका है। वामपंथी महिला संगठन ने बृहस्पतिवार को दिल्ली में लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात कर तापस को सांसद पद से बर्खास्त करने की मांग की। जबकि कोलकाता में कांग्रेस ने जुलूस निकाला और सड़क जाम किया। भाजपा ने मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन कर राज्य महिला आयोग को ज्ञापन सौंपा। मामले में पुलिस की निष्क्रियता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के तौर पर देखा जा रहा है।

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