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आरुषि हत्याकांड: मर्डर को मिस्ट्री बनाने की अद्भुत मिसाल

नोएडा, ललित विजय। आरुषि हत्याकांड-एक ऐसा मर्डर, जिसे मिस्ट्री बनाने की बेहतर प्लानिंग थी। शायद ही दुनिया के आपराधिक इतिहास में हत्या के बाद हत्यारे ने बचाव के लिए इतनी बड़ी प्लानिंग की हो। आकस्मिक गुस्से में हुई हत्या, हत्यारे पेशेवर नहीं लेकिन कदम दर कदम बचाव के लिए की गई प्लानिंग इतनी परफेक्ट थी कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी भी एक ब

By Edited By: Published: Mon, 25 Nov 2013 07:55 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2013 08:43 PM (IST)
आरुषि हत्याकांड: मर्डर को मिस्ट्री बनाने की अद्भुत मिसाल

नोएडा, ललित विजय। आरुषि हत्याकांड-एक ऐसा मर्डर, जिसे मिस्ट्री बनाने की बेहतर प्लानिंग थी। शायद ही दुनिया के आपराधिक इतिहास में हत्या के बाद हत्यारे ने बचाव के लिए इतनी बड़ी प्लानिंग की हो। आकस्मिक गुस्से में हुई हत्या, हत्यारे पेशेवर नहीं लेकिन कदम दर कदम बचाव के लिए की गई प्लानिंग इतनी परफेक्ट थी कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी भी एक बार गच्चा खा गई। बेहतर प्लानिंग के कारण ही लभगभ साढ़े पांच साल के बाद मर्डर मिस्ट्री में फैसला तो आ गया लेकिन अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गया।

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पढ़ें: तलवार दंपति ने की थी आरुषि व हेमराज की हत्या

एक अधिकारी की जुबानी, प्लानिंग की कहानी

उत्तर प्रदेश में डीआईजी और घटना के दौरान एसटीएफ में तैनात रहे एक आइपीएस अधिकारी भी आरुषि हत्याकांड की जांच में शामिल रहे थे। उन्होंने हत्यारे की प्लानिंग को बिंदुवार समझाया। साथ ही बताया कि अगर हत्यारा डॉ. राजेश तलवार के अलावा कोई बाहरी होता तो इतनी बड़ी प्लानिंग करने की जहमत न उठाता। वह घटनास्थल से भागने में दिमाग लगाता।

- डॉ. राजेश तलवार ने 16 मई 2008 को कोतवाली सेक्टर 20 में कुल छह लाइन की तहरीर दी। जिसमें आरुषि की हत्या और हत्याकांड में नौकर हेमराज के शामिल होने का पुख्ता तौर से आरोप लगा दिया। इससे पुलिस का ध्यान हेमराज पर चला जाए।

- दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास जैसे सवाल न खड़े हो इसलिए आरुषि की कक्षा चार की फोटो मीडिया को परिवार की तरफ से दी गई।

- पुलिस पर नेपाल जाकर हेमराज को ढूंढने का दबाव डाला गया। पुलिस टीम नेपाल चली भी गई।

- हेमराज की हत्या छत पर ही हुई। छत पर जितना खून था और जोर-जबर्दस्ती के निशान से यह साफ होता है। शव को घसीट कर छुपाने लायक जगह पर लाया गया। छत पर लगी लाइट को तोड़ा गया। कूलर के ढक्कन से शव ढका गया। शव को दूसरी तरफ से कोई न देख ले, इसके लिए दोनों छत के बीच में लगी लोहे की जाल पर चादर डाल दी गई। जूते में खून लगा लेकिन उसके निशान सीढि़यों पर नहीं थे। यानी हत्या के बाद छत से सीढ़ी पर आने के दौरान जूता उतारा गया। हत्या के बाद हाथ में लगे खून को कूलर में ही धोया गया। इससे साफ है कि हेमराज की हत्या के बाद कोई और प्लानिंग थी। प्लानिंग उसके शव को ठिकाने लगाने की ही हो सकती है। इससे दुनिया आज तक हेमराज को ही कातिल मानती और आरुषि हत्या मिस्ट्री बनी रहती। 16 मई की रात मीडिया और पुलिस की मौजूदगी के कारण संभवत: ऐसा नहीं हो सका।

- पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. सुनील दोहरे पर दबाव डालकर रिपोर्ट बदलवाई गई। स्लाइड को बदल दिया गया। इससे दुष्कर्म या शारीरिक संबंध बनाने जैसी बात का खुलासा न हो।

- मोबाइल और आला कत्ल को गायब कर दिया गया। मोबाइल तो बुलंदशहर में बरामद हो गया, आला कत्ल आज तक बरामद नहीं हो सका।

- एक डॉक्टर के माध्यम से एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी को घर बुलाया गया। उन्होंने जांच के बाद छत का ताला तुड़वाकर हेमराज का शव बरामद करावा दिया।

- अगर डॉ. राजेश तलवार को अपनी छत पर कुछ गड़बड़ होने की जानकारी न होती तो वह आरुषि का गद्दा काफी दूर दूसरे की छत पर न रखवाते।

इन सवालों के नहीं मिले जवाब

- हत्या पहले हेमराज की हुई या आरुषि की।

- सीबीआई के अनुसार गोल्फ स्टिक के वार से आरुषि की हत्या हुई। फिर हेमराज को मारा गया। अगर ऐसा है तो आरुषि की गर्दन काटने की जरूरत क्यों पड़ी?

- गर्दन काटने के लिए किस हथियार का इस्तेमाल हुआ?

- हेमराज का फोन कहां गया?

- आला कत्ल कहां गया?

- 15 मई की रात हेमराज के मोबाइल पर निठारी के पीसीओ से फोन आया था। वह फोन किसका था।

मीडिया के दबाव में आ गई थी नोएडा पुलिस

नोएडा पुलिस डॉ. राजेश तलवार का फोन सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से सुन रही थी। 22 मई 2008 को तत्कालीन एसएसपी ए. सतीश गणेश ने ऑनर किलिंग का प्रेस वार्ता में शक जताया। इसकी जानकारी के बाद 23 मई को डॉ. राजेश तलवार ने वकील को फोन कर हत्या मामले में जमानत की प्रक्रिया जानी। नोएडा पुलिस को पहले ही डॉ. तलवार पर शक था। यह सुनते ही पुलिस का शक यकीन में बदल गया। 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल, पुलिस मीडिया के दबाव में आकर ऐसा कर गई। वह कुछ समय और फोन सुनती तो उसे ठोस सबूत मिल जाते और केस आज इस मोड़ पर न होता। यहां सच तो आया लेकिन सवालों के साथ।

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