आधार को एनपीआर से जोड़ने का महाअभियान आज से, बांग्लादेशी बहुल जिलों में विरोध
विशिष्ट पहचान वाले आधार नंबर को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्ट्रर (एनपीआर) से जोड़ने का महाअभियान आज से शुरू हो रहा है। इसके तहत सरकार के कर्मचारी देश के करीब 25 करोड़ घरों तक जाकर आधार में दर्ज में डाटा की पुष्टि करेंगे। अगले नौ महीने में इस काम को पूरा कर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विशिष्ट पहचान वाले आधार नंबर को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्ट्रर (एनपीआर) से जोड़ने का महाअभियान आज से शुरू हो रहा है। इसके तहत सरकार के कर्मचारी देश के करीब 25 करोड़ घरों तक जाकर आधार में दर्ज में डाटा की पुष्टि करेंगे। अगले नौ महीने में इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। पूरी कवायद का उद्देश्य आधार कार्ड जारी में हुई गड़बडि़यों को दूर करना होगा। इसके पहले आधार और एनपीआर एक साथ अलग-अलग इलाकों में चल रहा था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक एनपीआर में 28 करोड़ से अधिक लोगों के नाम शामिल हो चुके हैं, वहीं लगभग 21 करोड़ लोगों को आधार नंबर जारी किया गया है। इसके अलावा आधार नंबर जारी करने वाला विशिष्ट पहचान प्राधिकरण 82 करोड़ लोगों के बायोमेट्रिक आंकड़े जुटा चुका है। उन्होंने कहा कि अब आधार के तहत जुटाए गए आंकड़ों को एनपीआर से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
दरअसल आधार नंबर जारी करने में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा सका था। इस कारण इसमें कई गड़बडि़यों के आरोप भी लगे थे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आधार नंबर को एनपीआर में शामिल करने के पहले इन गड़बडि़यों को दूर करना जरूरी है, ताकि सुरक्षा मानकों पर वह खरा उतर सके। इसीलिए आधार नंबर वालों के घर-घर जाकर उनकी जानकारियों की पुष्टि करने का फैसला किया गया है। उन्होने कहा कि पूरी प्रक्रिया अगले साल 31 मार्च तक पूरी की जाएगी और इस पर 900 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।
आधार नंबर को एनपीआर में जोड़ने के लिए नए सिरे से सर्वे का असम के बांग्लादेशी घुसपैठियों की बहुलता वाले इलाकों में विरोध शुरू हो गया है। लेकिन गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि असम में नागरिकता की पूरी पड़ताल किए बिना किसी को भी एनपीआर में जगह नहीं जाएगी। इसके लिए नागरिकों को 1971 के मतदाता सूची से लेकर पिता या माता के पुराने दस्तावेज देने होंगे। जिससे यह साबित हो सके कि वे असम के मूल निवासी हैं। वैसे अभी तक एनपीआर के आधार पर नागरिकता कार्ड जारी करने का अभी तक कोई योजना नहीं है। लेकिन एनपीआर में कड़े सुरक्षा मानकों के कारण अवैध घुसपैठियों के इसमें शामिल हो पाना मुश्किल हो गया है।