सोनिया गांधी के 2014 के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
सुप्रीमकोर्ट जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दाखिल की गई इस अपीलीय याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 2014 के चुनाव को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट से चुनाव याचिका खारिज होने के बाद मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा है। याचिका में सोनिया गांधी की नागरिकता के अलावा शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी की उनके हक में वोट करने की अपील को आधार बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि इटली की नागरिकता छोड़ने की घोषणा न करने के कारण सोनिया चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थी इसके अलावा अहमद बुखारी ने सोनिया से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस के हक में वोट करने की अपील की थी इसलिए इसे धर्म के नाम पर वोट मांगना और चुनाव में भ्रष्ट तरीके अपनाना माना जाएगा। सुप्रीमकोर्ट जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दाखिल की गई इस अपीलीय याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के गत 11 जुलाई के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें हाईकोर्ट ने सोनिया गांधी के रायबरेली से चुनाव को चुनौती देने वाली रमेश सिंह की याचिका खारिज कर दी थी। रमेश सिंह ने याचिका मतदाता की हैसियत से दाखिल की थी। सिंह ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये सुप्रीमकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट का शुरूआत में ही याचिका खारिज करने का फैसला सही नहीं है।
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हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित करने के एक वर्ष 80 दिन बाद फैसला सुनाया ऐसे में लगता है कि इतने लंबे समय मे हाईकोर्ट याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए कई मुद्दे भूल गया था। मांग है कि हाईकोर्ट का आदेश रद किया जाए और चुनाव याचिका का मेरिट के आधार पर ट्रायल करने का आदेश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि 2014 में रायबरेली से चुनाव लड़ते समय सोनिया गांधी अपने मूल देश इटली की नागरिक थीं उन्होंने इटली की नागरिकता नही छोड़ी इसलिए वे चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थीं। उन्होंने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया जिसमें उनके इटली की नागरिकता छोड़ना साबित होता हो। मूल नागरिकता छोड़े बगैर कोई भारतीय नागरिक नहीं हो सकता।
याचिका में नागरिकता कानून की धारा 5(1)(सी) की वैधानिकता का भी मुद्दा उठाया गया है जिसमें विदेशी स्त्री को भारतीय नागरिक से शादी करने पर भारत की नागरिकता मिलती है। कहा गया है कि यह कानून भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करता है और राष्ट्रहित में नहीं है। यह भी कहा है कि उन्होंने चुनाव मे भ्रष्ट तरीके अपनाए हैं क्योंकि सोनियां गांधी के कहने पर शाही इमाम अहमद बुखारी ने मतदाताओं से कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। आरपी एक्ट की धारा 123(3) मे यह चुनाव के भ्रष्ट तरीका माना जाएगा। इस बात निर्धारण चुनाव याचिका पर विस्तृत ट्रायल होने के बाद ही हो सकता है। वैसे भी कानून के इस प्रावधान (धारा 123(3))पर संविधानपीठ में मामला लंबित है।
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बताते चलें कि आजकल सुप्रीमकोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ धर्म के नाम पर वोट मांगने को चुनाव के भ्रष्ट तौर तरीके माने जाने पर विचार कर रही है सुनवाई के दौरान पीठ ने जो सवाल उठाए थे उसमें एक सवाल इस परिस्थिति की ओर भी इशारा करता था। संविधानपीठ में सुनवाई शुरू होने से एक दिन पहले वकील विष्णु जैन ने सुप्रीमकोर्ट से इस याचिका को भी उसी के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का अनुरोध किया था लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने अनुरोध ठुकराते हुए कहा था कि पहले याचिका सामान्य पीठ सुनेगी अगर वो पीठ इसे बड़ी पीठ भेजती है तब देखा जाएगा।
हाईकोर्ट ने ये कह कर खारिज कर दी याचिका
1- सोनिया गांधी को 30 अप्रैल 1983 को नागरिकता मिली थी तब उसे चुनौती नहीं दी गई
2- यही मुद्दा हरिशंकर जैन बनाम सोनियां गांधी याचिका में उठाया गया था जिसे सुप्रीमकोर्ट ने खारिज किया था।