Move to Jagran APP

दुनिया छोड़ दी तो भी नहीं आई नजमा!

'शुक्रगुजार हूं अपनी बीवी का कि मैं तीन बहुत अच्छे बच्चों का बाप बन सका।..बहुत ही इंटेलीजेंट और कामयाब बच्चों का..।' ये शहरयार थे, जो बीवी को इतना कद्रदान बता रहे थे, लेकिन शायरी के शहजादे की जब बीवी से अनबन बढ़ी तो मनाने कभी नहीं गए।

By Edited By: Published: Wed, 15 Feb 2012 08:03 AM (IST)Updated: Wed, 15 Feb 2012 05:38 PM (IST)

अलीगढ़। 'शुक्रगुजार हूं अपनी बीवी का कि मैं तीन बहुत अच्छे बच्चों का बाप बन सका।..बहुत ही इंटेलीजेंट और कामयाब बच्चों का..।' ये शहरयार थे, जो बीवी को इतना कद्रदान बता रहे थे, लेकिन शायरी के शहजादे की जब बीवी से अनबन बढ़ी तो मनाने कभी नहीं गए।

loksabha election banner

निजी जिंदगी से जुड़े सवालों से अक्सर बचते रहे शहरयार ने दोबारा शादी का ख्याल आने की बात का जवाब इस शेर से दिया..बुझने के बाद जलना गवारा नहीं किया, हमने कोई काम दोबारा नहीं किया।' वे कहते थे कि जिंदगी में उसूल रहा है मेरा। अगर मैं बचपन में किसी खास सिचुएशन या शक्ल में साइकिल से गिरा हूं तो दूसरी बार उस शक्ल में कभी नहीं गिरा। खेल में भी..हॉकी में भी, जो गलती एक बार हो जाती थी, पूरी कोशिश होती थी कि वो गलती दूसरी बार न हो। इस मामले में बहुत पर्टिकुलर हूं।

एक स्थिति में जिससे धोखा, नुकसान या पछतावा हो गया या फिर किसी की तारीफ से खफा होकर कोई ऐसा कदम उठा लिया, जिसका बाद में पछतावा हुआ हो..फिर बहुत कोशिश की कि वह दोबारा न हो।' बड़े रचनाकारों के असफल दांपत्य जीवन पर बात छिड़ी तो शहरयार रौ में आ गए, 'खुद मेरी समझ में नहीं आया। वह सब क्यों हुआ, कैसे हुआ? इसलिए कि मेरी जो कमियां-खराबियां थीं, वो सब मैं उनको बता चुका था।

हमने शादी ही इस शर्त पर की थी कि वो इन कमजोरियों को बर्दाश्त करेंगी। नहीं-जिन चीजों को लेकर अलग हुए, उनका शायरी से ताल्लुक नहीं है। ..हां ताश खेलना, शराब पीना, देर तक घर से बाहर रहना..। जी, शुरू से ही था ये सब। बाद में पता नहीं क्या हुआ? ..मैंने उन्हें नहीं छोड़ा। उन्होंने कोर्ट से डायवोर्स ले लिया। मैंने उन्हें कंटेस्ट नहीं किया। मैं न कोई सफाई पेश करता हूं, न उन्हें भला-बुरा कहता हूं। यूं कहूं कि मैं खुद अलग हुआ। जब लगा कि साथ रहना अब मुश्किल है तो अलग हो गया..।' वो तनिक रुकते हैं, फिर चालू हुए, 'फिर मेरी जिद भी थी। ..शायद उन्हें गलतफहमी थी कि मैं उनके बगैर जिंदा नहीं रह सकता। बच्चों के साथ की सारी तस्वीरें फाड़ डालीं।

..मेरे मिजाज में एक जिद है। ये बच्चों को भी पता है कि पापा जब जिद करते हैं तो फिर..' शायद बीवी नजमा भी मनाने के इंतजार में ही वक्त गुजारती रहीं। शहरयार ने दुनिया छोड़ दी तो भी नहीं आईं!

पाक कला में भी निपुण थे शहरयार

-शानो-शौकत से रहने के आदी शहरयार पाक कला में भी निपुण थे। घर में नौकर हो-न हो, शहरयार साहब अपने यहां आए हर व्यक्ति का सत्कार फ्रिज में रखी मिठाइयों, फलों, ड्राइ फ्रूट्स, कोल्ड ड्रिंक्स या रेडीमेड कॉफी से करते थे। किसी अपने के लिए चाय बनाने चल पड़ना भी उनकी विशिष्टता थी। टोकने पर वह कहते, 'मैं स्टू बहुत अच्छा बनाता हूं- कंप्लीट। जी-गोश्त का होता है। कीमा, आलू-गोश्त, और दोप्याजा। प्याज ज्यादा होती है। कलेजी भी, सब दालें और गोश्त। मसाला भी पीस लेता हूं। बस रोटी नहीं बना पाता।..मेरे खाने में आज तक मुझसे न कोई चीज कम हुई, न ही ज्यादा। कुछ लोग बीच में चख-वख लेते हैं, वैसे मैं कभी नहीं देखता।' वो उत्साह से बताते कि फोन करके दुबई से मेरी बेटी पूछती है, बेटे भी। तीनों बच्चे खाना पकाना जानते हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.