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आधी संसद के पास निधि खर्च करने का वक्त नहीं

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, सांसद राहुल गाधी, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब दो दर्जन मंत्रियों और दर्जनों सासदों के चुनाव क्षेत्रों को शायद विकास की जरूरत नहीं रही है।

By Edited By: Published: Mon, 31 Oct 2011 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 01 Nov 2011 12:30 AM (IST)

नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, सांसद राहुल गांधी, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब दो दर्जन मंत्रियों और दर्जनों सांसदों के चुनाव क्षेत्रों को शायद विकास की जरूरत नहीं रही है।

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सांसद निधि का खाता यह साबित करता है कि इन नुमाइंदों के पास न तो अपने चुनाव क्षेत्र के लिए फुर्सत है और न विकास की योजनाएं। तभी तो 406 सांसदों के नाम प्रति सदस्य दो करोड़ रुपये से अधिक की निधि इस्तेमाल के बगैर पड़ी है। हालांकि सरकार ने पिछले सत्र में इसे प्रति सांसद पांच करोड़ रुपये कर दिया है।

सांसद निधि के हमाम में सत्ता पक्ष, विपक्ष और बड़े-छोटे दल, सब एक जैसे हैं। सांसद निधि की राशि जारी कराने या बढ़वाने के लिए चाहे जो स्यापा किया जाए, लेकिन इस साल अगस्त तक के आंकड़े इस पूरी स्कीम का विचित्र चेहरा सामने लाते हैं।

दैनिक जागरण के पास उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि ज्यादातर सांसदों के लिए साल में दो करोड़ रुपये खर्च कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस फेहरिस्त में इतने बड़े-बड़े नाम हैं कि इसकी पूरी प्रासंगिकता ही बहस और सवालों के घेरे में है।

उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में लोकसभा के आधे से अधिक सदस्य दो-दो करोड़ से अधिक की राशि लिए बैठे हैं और खर्च की कोई योजना उपलब्ध नहीं है।

इस साल अगस्त में सरकार ने सांसद निधि की एक गोपनीय समीक्षा की थी। इसमें इस स्कीम की सचाई उघड़ कर सामने आ गई कि लोकसभा के 545 में से 293 और राज्यसभा के 250 में से 113 वर्तमान सांसद अपना अधिकांश आवंटन खर्च नहीं कर पाए हैं। इस रहस्योद्घाटन के बाद सरकार ने सांसद निधि के छत्ते में हाथ डालना ठीक नहीं समझा।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लगभग पूरी कैबिनेट को यह निधि खर्च करने का वक्त नहीं मिल रहा है। ऐसा नहीं है कि ये मंत्री देश के बहुत विकसित क्षेत्रों से आते हैं। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के 24 सदस्यों को शामिल करते हुए कुल 76 सदस्यों को निधि खर्च करने का मौका नहीं मिल पा रहा है।

बिहार में दोनों सदनों के 36 सदस्य, झारखंड में दोनों सदनों के 14, पंजाब में 11, हरियाणा में 8, पश्चिम बंगाल में 43 और दिल्ली में लोकसभा के सभी सातों सदस्य इस निधि की मोटी रकम लिए बैठे हैं, लेकिन खर्च का अता पता नहीं है।

हैरत की बात है कि इसके बावजूद सरकार ने संसद के पिछले सत्र में प्रति सांसद आवंटन को बढ़ाकर पांच करोड रुपये प्रति वर्ष कर दिया। यह बात समझ से परे है कि साल में दो करोड़ खर्च करने में मुश्किल महसूस कर रहे सांसद पांच करोड़ रुपये का आखिर क्या करेंगे।

दिग्गज सांसदों का चिट्ठा

क्रम-सांसद-चुनाव क्षेत्र-खर्च न की गई रकम [करोड़ रुपये में]

1-अरुण जेटली-राज्यसभा [गुजरात]-2.45

2-मुरली मनोहर जोशी-वाराणसी-2.94

3-यशवंत सिन्हा-हजारीबाग-2.64

4-रामविलास पासवान-राज्यसभा [बिहार]-2.00

5-मुलायम सिंह यादव-मैनपुरी-2.36

6-रविशंकर प्रसाद-राज्यसभा [बिहार]-2.53

7-रघुवंश प्रसाद सिंह-वैशाली-2.41

8-शत्रुघ्न सिन्हा-पटना-2.65

9-मनीष तिवारी-लुधियाना-2.93

10-पीएल पुनिया-बाराबंकी-2.65

11-लालजी टंडन-लखनऊ-2.58

12-जया प्रदा-रामपुर-3.02

13-अजहरूद्दीन-मुरादाबाद-2.29

14-सुखदेव ढींढसा-राज्यसभा [पंजाब]-2.88

15-हरसिमरत कौर बादल-भटिंडा-2.95

16-मेनका गांधी-बरेली-2.86

17-तरुण विजय-राज्यसभा [उत्तराखंड]-2.00

18-कलराज मिश्र-राज्यसभा -2.93

19-संदीप दीक्षित-पूर्वी दिल्ली-4.95

20-सतपाल महाराज-पौड़ी गढ़वाल-2.35।

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