पंजाब के 65 फीसद स्कूलों में नहीं गाया जाता राष्ट्रगान
राष्ट्रगान देश के इतिहास व परंपरा को दर्शाता है। इसे खास कर शिक्षण संस्थानों में रोजाना पढ़ाई से पहले गाकर दिन की शुरुआत की जाती है, ताकि भावी नागरिकों के मन में उनके देश के प्रति सम्मान व एकजुटता की भावना भरी जा सके। यह अनिवार्य भी है, लेकिन हैरानी
जालंधर, [कुसुम अग्निहोत्री]। राष्ट्रगान देश के इतिहास व परंपरा को दर्शाता है। इसे खास कर शिक्षण संस्थानों में रोजाना पढ़ाई से पहले गाकर दिन की शुरुआत की जाती है, ताकि भावी नागरिकों के मन में उनके देश के प्रति सम्मान व एकजुटता की भावना भरी जा सके। यह अनिवार्य भी है, लेकिन हैरानी की बात है कि पंजाब में 65 फीसद से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर राष्ट्रगान नहीं गाया जाता। इतना ही नहीं कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां पर सुबह की प्रार्थना भी नहीं होती। सीधे विद्यार्थियों को कक्षाओं में बैठा कर पढ़ाई शुरू करवा दी जाती है। इस बात का खुलासा पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के ही एक सर्वेक्षण में हुआ है।
पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड के इंचार्ज एफिलेशन स्कूल लखबीर सिंह के अनुसार उनके नोटिस में कई ऐसे स्कूल आए हैं, जहां पर राष्ट्रगान नहीं गाया जाता है। इसको लेकर प्रदेश सरकार के सचिव द्वारा जारी पत्र नंबर 25-2-15 -3राज (1)/821 तिथि 22-1-2015 चंडीगढ़ मं यह हिदायतें दी गई है कि स्कूलों में राष्ट्रगान को गाना अनिवार्य किया जाए। सभी स्कूलों में इस आदेश का पालन करना यकीनी बनाने को जिला शिक्षा अधिकारियों, स्कूलों के प्रिंसिपलों तथा मुखियों को भी पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो स्कूल इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन स्कूलों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सभी बच्चों को नहीं याद राष्ट्रगान
विभिन्न सरकारी व प्राइवेट स्कूलों से जानकारी जुटाने के बाद पता चला कि सीबीएसइ से संबद्ध बड़े स्कूलों में तो प्रार्थना सभा अंग्रेजी में होती है, लेकिन उसके बाद राष्ट्रगान गाने का प्रचलन रोजाना नहीं है। सप्ताह में कभी-कभार ही राष्ट्रगान स्कूलों में गाया जाता है। वहीं सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रगान ही नहीं प्रार्थना सभा भी रोजाना नहीं होती है। जब कई सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों से राष्ट्रगान सुनाने को कहा गया तो उन्हें एक या दो लाइनों से ज्यादा नहीं आता था।
50 फीसद शिक्षक तो राष्ट्रगान लिख भी नहीं सकते: बीएस भाटिया
रिटायर्ड सर्किल एजुकेशन ऑफिसर व शिक्षाविद् बीएस भाटिया ने कहा कि प्रदेश में हालात तो ऐसे हैं कि शिक्षकों को यदि नेशनल एंथम लिखने को दे दिया जाए तो 50 फीसद तो लिख भी नहीं सकते। शिक्षण संस्थानों में स्कूल लगने से पहले प्रार्थना सभा व राष्ट्रगान गाने, राष्ट्रीय चिन्ह के बताए जाने के नियम तो कई दशक पहले बने थे। वो बात अलग है कि वे उन्हें माने या न माने।
डीईओ सेकेंडरी का दावा, सभी स्कूलों में होता है राष्ट्रगान
जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी हरिंदर पाल सिंह का कहना है कि उनके सभी सरकारी स्कूलों में तो राष्ट्रगान होता है, लेकिन बाकी स्कूलों की उन्हें जानकारी नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या शिक्षा विभाग के कार्यालय में भी सुबह काम करने से पहले राष्ट्रगान गाया जाता है तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान स्कूलों के लिए अनिवार्य है न की दफ्तरों के लिए।
महाराष्ट्र सरकार का फरमान, प्राइम टाइम में चलेगी मराठी फिल्म