634 मुन्नाभाइयों में एक भी नहीं बन पाया डॉक्टर
2013 में व्यापम घोटाला सामने आया था। सबसे पहले 2013 की पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी सामने आई थी।
नईदुनिया, भोपाल। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा में नकल कर दाखिला लेने वाले मुन्नाभाइयों में से एक भी डॉक्टर नहीं बन पाया है। यह जानकारी मप्र मेडिकल काउंसिल की जांच रिपोर्ट में सामने आई है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) की ओर से काउंसिल को 634 छात्रों की सूची जांच के लिए भेजी गई थी, इनमें 2008 से 2012 के बीच पीएमटी में बैठने वाले छात्र थे।
इसमें यह पता किया जाना था कि आरोपी छात्रों का मप्र मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन तो नहीं है। ये वे छात्र हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में किसी तरह की राहत नहीं दी थी। इसके बाद इनके दाखिले अंतिम रूप से निरस्त मान लिए गए थे।
डीएमई ने इसी साल मार्च में मप्र मेडिकल काउंसिल को इन छात्रों की सूची भेजी थी। इसमें सरकारी और निजी दोनों कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र थे। सूची में छात्रों के नाम और रोल नंबर थे, लेकिन सिर्फ इन दो तथ्यों से जांच नहीं हो सकती थी। लिहाजा काउंसिल ने सरकारी और निजी कॉलेजों से छात्रों का ब्योरा मांगा था।
अलग-अलग कॉलेजों से मई तक यह जानकारी मिल पाई। इसके बाद मेडिकल रजिस्टर से मिलान किया गया। इसमें एक भी उम्मीदवार रजिस्टर्ड नहीं मिला। कुछ छात्र इंटर्नशिप तक पहुंच गए थे, पर उनकी भी डिग्री पूरी नहीं हो पाई है। डिग्री पूरी नहीं होने की वजह यह रही कि कोर्ट के निर्देश पर इन्हें क्लास में पढ़ने और इंटर्नशिप की अनुमित तो मिल गई थी, पर रिजल्ट जारी करने पर रोक थी।
यह है मामला
2013 में व्यापम घोटाला सामने आया था। सबसे पहले 2013 की पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी सामने आई थी। इसके बाद जांच में 2008 से 2012 तक की पीएमटी में गड़बड़ी मिली थी। सबसे पहले 2013 की पीएमटी में बैठने वाले 439 मुन्नाभाइयों के दाखिले रद किए गए। प्रवेश रद होने के समय ये सभी फर्स्ट ईयर में थे। बाद में 2008 से 2012 के बीच 634 मुन्नाभाइयों की पहचान की गई। 2014 में उनके दाखिले निरस्त कर दिए गए। इसके विरोध में छात्रों ने आंदोलन किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें निकालने का अंतिम निर्णय दिया था।
डीएमई से मिली 634 छात्रों की सूची का मिलान किया गया था। इनमें एक भी हमारे यहां रजिस्टर्ड नहीं है। इनके अलावा कोई आरोपी छात्र रजिस्टर्ड है तो इसकी जानकारी नहीं है। हम तो किसी को पहचानते नहीं जो भी वैध डिग्री लेकर आता है, उसका पंजीयन कर देते हैं।
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