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उप्र: मुट्ठी भर अन्न देख थम रहीं किसानों की सांसें, 54 और मरे

पहले तो बेमौसम बारिश ने आधी से ज्यादा फसल लील ली और जो बची, उससे उम्मीद लगाए बैठे किसानों को मड़ाई के बाद निकली उपज झटका दे रही है। मुट्ठी भर अन्न देख अन्नदाता खेतों में ही दम तोड़ रहे हैं। बर्बादी का सदमा दिल पर घात बन रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 12:36 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 01:23 AM (IST)
उप्र: मुट्ठी भर अन्न देख थम रहीं किसानों की सांसें, 54 और मरे

लखनऊ। पहले तो बेमौसम बारिश ने आधी से ज्यादा फसल लील ली और जो बची, उससे उम्मीद लगाए बैठे किसानों को मड़ाई के बाद निकली उपज झटका दे रही है। मुट्ठी भर अन्न देख अन्नदाता खेतों में ही दम तोड़ रहे हैं। बर्बादी का सदमा दिल पर घात बन रहा है। बीते 24 घंटे में उत्तर प्रदेश में 54 और किसानों की मौत हो गई। सबसे ज्यादा नौ मौतें प्रतापगढ़ जिले में हुई जबकि फैजाबाद में सात।

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इलाहाबाद में करछना निवासी अनूपा देवी ने मड़ाई के बाद गेहूं की उपज काफी कम देखी तो अचेत होकर गिर पड़ीं, उनकी मौत हो गई। कौशाम्बी में दयाराम ने इसी तरह दम तोड़ दिया। प्रतापगढ़ में रामशरण वर्मा को उपज में महज एक बोरी गेहूं मिलने से गहरा सदमा लगा और हृदयाघात से मौत हो गई। फसल देखकर लौटते ही कड़ेदीन की भी सांसें थम गई। केदारनाथ, मथुरा पटेल व प्रभावती देवी की भी सदमे से मौत हो गई। इसके अलावा इस जिले में विशंभर प्रसाद, समर बहादुर, राम शरण और गंगादीन सिंह की मौत हो गई। फतेहपुर में सीमा देवी फसल का हाल देख चल बसीं। इसी तरह जगमोहन पटेल ने भी दम तोड़ दिया।

रायबरेली में कुंवर बहादुर सिंह ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली। शाहजहांपुर में वीरेंद्र पाल ¨सह ने फांसी लगा ली जबकि रामशंकर सदमा बर्दाश्त नहीं पाए। महोबा में रामकुमार ने कुएं के एंगल में फांसी लगा ली तो सुरेश की हार्ट अटैक से मौत हो गई। दोनों ही बैंकों व साहूकारों के कर्ज से दबे हुए थे। कानपुर देहात में ओमप्रकाश मिश्र, बांदा में बद्री प्रसाद और गोविंद प्रसाद अवथी सदमे के कारण चल बसे। फर्रुखाबाद में राम सिंह शाक्य, रायबरेली में रामनिहोर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। अमेठी में रामयश और सुरेंद्र मिश्र, हरदोई में दिनेश की सदमे से मौत हो गई।

आगरा में चंद्रभान, एटा में सत्यपाल व मैनपुरी में 80 हजार रुपये के कर्ज से दबे सतीश यादव फसल की तबाही का दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाए। बरेली में रामबहादुर, नन्हे और पीलीभीत के नत्थूलाल ने सदमे में दम तोड़ दिया। बुलंदशहर के खुर्जा में श्यौराज सिंह, छतारी में चंद्रभान, हापुड़ के धौलाना में दलवीर पाल की मौत हो गई।

भदोही के ज्ञानपुर में मानिकचंद पाठक व वाराणसी में रमन यादव की मौत हो गई। फैजाबाद जिले में महावीर, उदयराज, श्यामपता, जगपता, रामराज, महादेव प्रसाद और सेतू की मौत हो गई। अंबेडकरनगर में रमानंद वर्मा, श्रावस्ती में मंगली प्रसाद, गूजी, मऊ में फेंकू और रामउग्रह यादव, आजमगढ़ में बरतू राम, बलिया में पारसनाथ ¨सह और गाजीपुर में बलिराम राजभर भी फसल बर्बादी सहन नहीं कर सके। मीरजापुर में भंडारी प्रसाद को दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई। वहीं संगम लाल का शव अरहर के खेत में पड़ा मिला।

मुआवजा न मिलने पर किसानों का प्रदर्शन

बुंदेलखंड में किसानों के साथ अब सरकारी मशीनरी भी भद्दा मजाक कर रही है। आपदा पीडि़त किसानों को हाल ही में मात्र 750 रुपये की चेक पकड़ाने के बाद विवादों में आए प्रशासन ने सोमवार को नया फंडा अपनाया। छह बीघा तक के किसानों को मुआवजा देने के बजाय उन्हें पंडाल से ही बाहर कर दिया। केवल बड़े किसानों को मुआवजा बांटा गया। इसके विरोध में आयुक्त कल्पना अवस्थी और डीएम सुरेश कुमार के सामने ही किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। बाद में अधिकारियों ने जल्द ही राहत राशि वितरित कराने का आश्वासन दिया, तब मामला संभला।

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