सहारनपुर दंगा: सब ठीक रहा तो आज हट सकता है दिन का कर्फ्यू
दंगे के दौरान जब हालात बेकाबू हुए तो प्रशासन ने शहर सेना के हवाले करने की सोची और शासन से बात की, लेकिन शासन सेना बुलाने पर राजी नहीं हुआ। आनन-फानन में सहारनपुर में दंगा नियंत्रण के लिए सेना के स्थान पर पैरा मिलिट्री फोर्स की छह कंपनी की आमद कराने का निर्णय लिया गया है। भाजपा सांसद राघव लखनपाल शम
सहारनपुर : दंगे के दौरान जब हालात बेकाबू हुए तो प्रशासन ने शहर सेना के हवाले करने की सोची और शासन से बात की, लेकिन शासन सेना बुलाने पर राजी नहीं हुआ। आनन-फानन में सहारनपुर में दंगा नियंत्रण के लिए सेना के स्थान पर पैरा मिलिट्री फोर्स की छह कंपनी की आमद कराने का निर्णय लिया गया है। भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने स्वयं इस बात का खुलासा किया है।
हालांकि आला अफसर इस मुद्दे पर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर सहारनपुर दंगे की सूचना मात्र से ही लखनऊ हिल गया। मुख्य सचिव आलोक रंजन, प्रमुख सचिव गृह नीरज गुप्ता व डीजीपी एएल बनर्जी ने आला अफसरों से बातचीत की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कमिश्नर व आइजी के अलावा शासन के प्रतिनिधि भुवनेश कुमार व डीआईजी दीपक रतन से बातचीत की।
दरअसल शनिवार की सुबह जब दंगा भड़का तो पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने सूचना प्रसारित कराई की रुड़की से 10 कॉलम सेना आ रही है। देर शाम तक किसी भी अधिकारी ने सेना के सहारनपुर आने की पुष्टि नहीं की। बाद में जब सेना के बारे में डीएम व एसएसपी से पूछा गया तो उन्होंने सेना की आमद पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन बताया कि छह कंपनी पैरा मिलिट्री फोर्स आ रही है।
भाजपा सांसद राघव लखनपाल की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह व केंद्रीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली सहारनपुर में सेना भेजने के पक्षधर थे। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी बातचीत की लेकिन दोपहर एक बजे तक उत्तर प्रदेश शासन की ओर से सेना की आमद के लिए कोई पत्र नहीं आया। इतना जरूर है कि रुड़की से 10 कॉलम सेना सहारनपुर आने के लिए तैयार थी। उन्हें केवल केंद्रीय रक्षा मंत्रालय से ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार था।
दूसरी ओर, खेल सचिव भुवनेश कुमार व डीआइजी दीपक रतन ने संकेत दिए है कि यदि शनिवार की रात सबकुछ सही रहा तो रविवार को दिन का कर्फ्यू हटा लिया जाएगा। रात को कर्फ्यू जारी रहेगा। उनसे जब पूछा गया कि क्या ईद के मद़्देनजर यह कवायद हो रही है तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। ध्यान रहे कि कवाल के बवाल के बाद मुजफ्फरनगर में भी सेना के मोर्चा संभालने के बाद ही हालात पर काबू पाया जा सका था।
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