हर घर को स्वच्छ पेयजल के लिए 25 हजार करोड़
राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन शुरु, वर्ष 2021 तक होगा पूरा..
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। प्रत्येक घर को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये का राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन शुरु किया है। केंद्र सरकार ने चार वषरें में पेयजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्याओं से निपटने के लिए इस उप मिशन की शुरुआत की है। देश की 28 हजार बस्तियों में आर्सेनिक व फ्लोराइड वाला पानी पीने को मिलता है। गंगा के मैदानी हिस्सों में भूजल लगातार प्रदूषित हो रहा है। पश्चिम बंगाल और राजस्थान में यह समस्या सबसे गंभीर है।
पश्चिम बंगाल और गंगा के मैदानी क्षेत्रों के भूजल में जहां आर्सेनिक की मात्रा अधिक पाई जाती है, वहीं राजस्थान के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। इससे लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबको स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पहले ही आश्वस्त कर चुके हैं।
एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि उप मिशन के तहत राज्यों को पर्याप्त धनराशि मुहैया कराई जाएगी। राज्य अपनी परियोजना खुद बनाएंगे, जिसमें वह निजी क्षेत्रों की मदद भी ले सकते हैं। लेकिन दूषित जल को स्वच्छ बनाने और आपूर्ति के काम में सरकारी एजेंसियां ही काम करेंगी। तोमर ने कहा कि जिन राज्यों में दूषित पेयजल है, उन्हें प्राथमिकता के तौर पर ज्यादा धनराशि दी जाएगी। उप मिशन के तहत समस्याग्रस्त राज्यों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
एक अन्य सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आर्सेनिक घुले पेयजल की आपूर्ति हो रही है। इन्हें भी प्राथमिकता दी जायेगी। इनमें बलिया, गाजीपुर, चंदौली, बनारस और जौनपुर प्रमुख हैं।
इसके पूर्व बुधवार को अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर 'हर घर को स्वच्छ जल पहुंचे' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में तोमर ने 2030 तक प्रत्येक घर में नल से पानी पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त कर लेने का भरोसा जताया। राष्ट्रीय कार्यशाला में कुल 12 राज्यों के पेयजल मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर साल 23 हजार करोड़ रुपये की केंद्रीय कोष की जरूरत पड़ेगी। तोमर ने कहा कि देश के नागरिकों की भागीदारी के बगैर 'हर घर जल' के सपने को साकार नहीं किया जा सकता है। देश के लगभग दो हजार ऐसे ब्लाक हैं, जहां भूजल की भारी किल्लत है। इसके लिए ग्रामीण विकास की ज्यादातर योजनाओं के समुचित सामंजस्य से जल संरक्षण पर जोर दिया जाएगा।
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