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बंगाल में ग्रुप 'डी' के 6000 पदों के लिए 25 लाख लोगों ने दी परीक्षा

पश्चिम बंगाल में चपरासी, सफाईकर्मी व माली के लिए ग्रुप डी पदों के 6000 रिक्त पदों के लिए 25 लाख अभ्यर्थियों ने शनिवार को परीक्षा दी।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sun, 21 May 2017 02:07 AM (IST)Updated: Sun, 21 May 2017 05:53 AM (IST)
बंगाल में ग्रुप 'डी' के 6000 पदों के लिए 25 लाख लोगों ने दी परीक्षा
बंगाल में ग्रुप 'डी' के 6000 पदों के लिए 25 लाख लोगों ने दी परीक्षा

ओम प्रकाश सिंह, कोलकाता। पश्चिम बंगाल और पड़ोसी राज्यों में बेरोजगारी का क्या आलम है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चपरासी, सफाईकर्मी, माली आदि के लिए ग्रुप डी के 6000 रिक्त पदों के लिए 25 लाख अभ्यर्थियों ने शनिवार को परीक्षा दी। 25 लाख अभ्यर्थियों में सिर्फ आठवीं पास ही नहीं एमए, स्नातक व डिप्लोमा धारी छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था। शांतिपूर्ण परीक्षा के लिए राज्य प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस, होमगार्ड व सिविक वोलेंटियरों को तैनात किया था। अतिरिक्त बसें व लोकल ट्रेनें चलाई गई थीं।

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अहम स्थलों व मोड़ों पर सहायता केंद्र बनाए गए थे जहां से छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने का दिशा निर्देश दिया जा रहा था। हालांकि तमाम बंदोबस्त के बावजूद सैकड़ों छात्र परीक्षा केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए। कुछ ट्रेन लेट होने की वजह से फंस गए थे कुछ को वाहन नहीं मिल सका। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम, ओडिशा से छात्र परीक्षा देने के लिए शुक्रवार से ही पश्चिम बंगाल पहुंचने लगे थे।

बिहार, झारखंड व ओडिशा से परीक्षा देने के लिए करीब 5.5 लाख अभ्यर्थी पहुंचे थे। सबसे बुरा हाल सिउड़ी के परीक्षा केंद्रों का था। परीक्षा देने के लिए बिहार के आरा से कोलकाता पहुंचे छात्र रविकांत सिंह ने कहा कि रेलवे ने तो छात्रों की सुविधा व सुरक्षा के लिए अच्छी व्यवस्था की थी, लेकिन राज्य सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की। मेरा केंद्र सिउड़ी के साजिना में था। यह स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर है। वहां जाने के लिए कोई सवारी नहीं थी। कुछ गाडि़यां थीं तो उन पर मनमाना किराया वसूला गया।

अनिवार्य प्रश्न हिंदी में नहीं होने से परेशान हुए छात्र

पश्चिम बंगाल में शनिवार को करीब 25 लाख छात्रों ने ग्रुप डी की परीक्षा दी। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश व ओडिशा से भी छात्र आए थे, लेकिन ये छात्र उस समय परेशानी में फंस गए जब परीक्षा में 75 नंबर के अनिवार्य सवाल केवल बांग्ला और अंग्रेजी में आए थे तथा बाकी के केवल 10 नंबर के प्रश्न उनके द्वारा चुनी हुई भाषा में थे। परीक्षा देकर बाहर निकले हिंदी भाषी छात्रों ने बताया कि प्रश्नों का जवाब देना तो दूर, वे लोग अधिकतर सवालों को समझ ही नहीं पाए।

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