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एक दिन में 26 देशों के बैंकों से 234 करोड़ गायब

साइबर हैकिंग के क्षेत्र में विश्व की बड़ी हैकिंग का मामला सामने आया है। इस प्रकार से धोखाधड़ी का यह सबसे बड़ा मामला भी हो सकता है। 26 प्रमुख देशों से हैकिंग के जरिये एक ही दिन में विभिन्न बैंकों से लगभग 234 करोड़ रुपये (3

By Edited By: Published: Sun, 13 Jul 2014 08:22 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jul 2014 08:31 AM (IST)
एक दिन में 26 देशों के बैंकों से 234 करोड़ गायब

पवन कुमार, नई दिल्ली। साइबर हैकिंग के क्षेत्र में विश्व की बड़ी हैकिंग का मामला सामने आया है। इस प्रकार से धोखाधड़ी का यह सबसे बड़ा मामला भी हो सकता है। 26 प्रमुख देशों से हैकिंग के जरिये एक ही दिन में विभिन्न बैंकों से लगभग 234 करोड़ रुपये (39 मिलियन अमेरिकी डॉलर) निकाल लिए गए। यह सब किसने किया, इसकी भनक तक नहीं लग पाई है।

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देशभर के बैंकों की राशि का इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन व बैंक फंड सिक्योरिटी देखने वाली अमेरिकी कंपनी की भारतीय शाखा ने इस तथ्य का खुलासा दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष किया है। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह इस मामले की अपनी देखरेख में जांच कराएं। मामले में मुकदमा दर्ज किया जाए व आरोपियों को पकड़ कर उन पर कार्रवाई की जाए।

खंडपीठ ने मामले में केंद्र सरकार की तरफ से अधिवक्ता सुमित पुष्करणा द्वारा पेश सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन प्रमाणन प्राधिकारी नियंत्रक कार्यालय के आदेश की प्रति देखने के बाद अमेरिकन कंपनी की भारतीय शाखा एनस्टेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड की याचिका का निपटारा किया। खंडपीठ ने भारत सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि भारत सूचना व तकनीक उद्योग के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। ऐसे में भारत की जिम्मेदारी बनती है कि इस मामले की जांच देश की पुलिस द्वारा प्रमुखता के आधार पर कराए। अपराध की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच अन्य किसी एजेंसी से न कराकर पुलिस के द्वारा ही कराई जानी चाहिए।

यह है पूरा मामला:

नई दिल्ली में पुराना मथुरा रोड पर जसोला स्थित अमेरिकी कंपनी एनस्टेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड ने अपने अधिवक्ता पवन दुग्गल, आदित्य प्रसाद व रितुराज के माध्यम से संचार एवं सूचना तकनीक मंत्रालय और केंद्र सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उनकी कंपनी इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर समाधान, वीजा मनी ट्रांसफर, मोबाइल से अन्य लोगों को रुपये ट्रांसफर करना, ऑनलाइन किसी अन्य माध्यम को रुपये ट्रांसफर करने संबंधी मामलों के लिए विश्व के सभी प्रमुख बैंकों को सुविधा देने का काम करती है। कंपनी इस कार्य में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के दौरान लोगों के रुपये की सुरक्षा, कंप्यूटर हैकिंग ऑनलाइन धोखाधड़ी इत्यादि पर रोक लगाने का काम भी करती है। यह काम वे 3डी सिक्योर सॉल्यूशन नामक रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से करते हैं। 20 फरवरी, 2013 को उन्हें पता चला कि विभिन्न देशों में संदिग्ध तरीके से विभिन्न खातों से रुपये निकाले जा रहे हैं। उनके सॉफ्टवेयर को हैक कर बहुत सी संवेदनशील जानकारियां भी चुरा ली गई। जब तक इसे रोका गया करोड़ों रुपये विभिन्न बैंकों से निकाले जा चुके थे।

कंपनी ने इस मामले की जांच के लिए ट्रस्टवेयर स्पाइडर लैब नामक फोरेंसिक एक्सपर्ट कंपनी को हायर किया। कंपनी ने तीन जून, 2013 को अपनी रिपोर्ट उन्हें दी। जिसमें पता चला कि ओमान देश के बैंक ऑफ मस्कट से किसी ने 12 क्रेडिट कार्ड खरीदे। इन क्रेडिट कार्डो के हजारों क्लोन बनाए गए। जिन्हें भारत सहित 26 देशों में बांट दिया गया। इन कार्ड के माध्यम से विभिन्न देशों के दो हजार एटीएम से एक ही दिन में करोड़ों रुपये निकाले गए। इसी दिन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 30 हजार से ज्यादा ट्रांजेक्शन कर करोड़ों रुपये निकाला गया। इस पूरी धोखाधड़ी में 26 देशों के विभिन्न बैंकों से लगभग 234 करोड़ रुपये (39 मिलियन अमेरिकी डॉलर) निकाल लिए गए। यह बहुत बड़ा मामला था। इसलिए उन्होंने भारत सरकार के प्रमाणन प्राधिकारी नियंत्रक कार्यालय से मामले की जांच साइबर अपीलीय ट्रिब्यूनल से कराने की मांग की। मगर भारत सरकार ने कहा कि इस मामले की जांच ट्रिब्यूनल के माध्यम से नहीं बल्कि पुलिस के द्वारा की जानी चाहिए। लिहाजा, केंद्र सरकार को मामले की जांच ट्रिब्यूनल के माध्यम से कराने के निर्देश दिए जाए।

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