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एनसीपी नहीं आयी तो जदयू का शरद गुट विपक्ष की बैठक में हुआ शामिल

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 18 विपक्षी दलों की बैठक शुक्रवार को नई दिल्ली में बुलाई गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 02:58 AM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 09:16 PM (IST)
एनसीपी नहीं आयी तो जदयू का शरद गुट विपक्ष की बैठक में हुआ शामिल
एनसीपी नहीं आयी तो जदयू का शरद गुट विपक्ष की बैठक में हुआ शामिल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । गुजरात राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की जीत के उत्साह में बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में एनसीपी नहीं पहुंची। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बुलाई इस बैठक में एनसीपी का नहीं आना विपक्षी एकजुटता की कोशिशों पर फिर से सवाल खड़ा कर गया। वहीं जदयू के शरद यादव गुट के नेता अली अनवर ने विपक्ष की बैठक में शामिल होकर नीतीश कुमार को शरद की तरफ से खुली चुनौती देने का साफ संदेश दे दिया।

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तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी के साथ सपा-बसपा समेत 16 पार्टियों ने इस बैठक में शामिल होकर ज्वलंत मुद्दों पर भाजपा और एनडीए सरकार के खिलाफ मिलकर मोर्चा लेने पर सहमति जताई। मुद्दों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए समन्वय समिति बनाने का फैसला हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बैठक में उपस्थित सभी 16 दलों के नेताओं ने एक छोटी समन्वय समिति के गठन के लिए अधिकृत कर दिया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि एनसीपी को लेकर फैलाई जा रही चर्चाएं गलत है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार चार दिन से बीमार हैं और इसी वजह से वह बैठक में शामिल नहीं हो सके।

आजाद ने कहा कि चार दिन पहले और शुक्रवार सुबह भी पवार से उनकी बात हुई तो एनसीपी प्रमुख की सेहत ठीक नहीं थी। वे दिल्ली में भी नहीं थे। पवार बीमारी की वजह से ही चार दिन से राज्यसभा की बैठक में नहीं आए। आजाद ने कहा कि पवार ने उनसे कहा कि सेहत ठीक होती तो वे जरूर बैठक में आते। एनसीपी के दूसरे वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल की ओर से बैठक से किनारा करने के दिए संकेत पर आजाद ने कहा कि जब पवार से सीधी बात हुई तो अपुष्ट बातों का औचित्य नहीं। केरल कांग्रेस मणि गुट अपनी पार्टी बैठक की वजह से इसमें शरीक नहीं हो सका।

बैठक में मानसून सत्र के दौरान संयुक्त रुप से मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति से मिली कामयाबी को देखते हुए साझा राजनीतिक मंचों के जरिए भी हमला बोलने पर इन पार्टियों में सहमति दिखी। आजाद ने कहा कि शीत सत्र साढे तीन महीने बाद होगा इसलिए समन्वय समिति सरकार की नीतियों की वजह से देश के समक्ष उपस्थित कठिन समस्याओं पर संयुक्त कार्यक्रम की रुपरेखा तय करेगी। आजाद ने पूछे जाने पर माना कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद की 27 अगस्त की पटना रैली में जाने पर भी बैठक में चर्चा हुई। इसमें अधिकांश दलों की राय थी कि जो शामिल होना चाहते हैं उन्हें इस रैली में जाना चाहिए।

वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि वामदलों ने सरकार के खिलाफ अपने कार्यक्रम की रुपरेखा पहले से ही तय कर ली है और इसमें जो भी शामिल होना चाहे उसका स्वागत है। उन्होंने कहा कि मूल बात यह है कि विपक्षी दलों को मोदी सरकार और भाजपा से मुकाबले के लिए जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर एक नयी वैचारिक फिजा तैयार करनी होगी।

राजनीतिक हकीकत से रूबरू होते हुए भी विपक्ष के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी के चुनाव लड़ने के लिए उनका आभार जताया गया। विपक्षी दलों की इस बैठक में कांग्रेस की ओर से सोनिया के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, सपा से रामगोपाल यादव, बसपा से सतीश चंद्र मिश्र, रालोद के अजित सिंह के अलावा राजद, द्रमुक, आइयूएमल आदि दलों के नेता शाामिल हुए।
 

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