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'सुकमा हमले में 16 नक्सलियों की भी हुई थी मौत'

शवों को नक्सली उठाकर लेते गए थे। इसी वजह से यह जानकारी सामने नहीं आ सकी थी कि जवाबी कार्रवाई में कितने नक्सली हताहत हुए।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 09:20 PM (IST)
'सुकमा हमले में 16 नक्सलियों की भी हुई थी मौत'

विष्णु चंद्र पाल, पुरुलिया। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में गत 24 अप्रैल को सीआरपीएफ जवानों पर हुए नक्सली हमले में 16 माओवादी भी मारे गए थे। ये सभी सीआरपीएफ के खिलाफ अपने संगठन द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में शामिल हुए थे। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में इनकी मौत हुई थी। इनके शवों को नक्सली उठाकर लेते गए थे। इसी वजह से यह जानकारी सामने नहीं आ सकी थी कि जवाबी कार्रवाई में कितने नक्सली हताहत हुए। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे।

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माओवादी संगठन के सूत्रों के अनुसार सीआरपीएफ जवानों पर हमले में शामिल 300 माओवादियों का नेतृत्व छत्तीसगढ़ के कंकर जिले के बंदे थानाक्षेत्र अंतर्गत अलदांद ग्राम निवासी सहदेव सचदेव ने किया था। पूर्व में मीडिया में यह खबर आई थी कि माओवादियों की ओर से इस ऑपरेशन का नेतृत्व मड़काम हिडमा ने किया था जो छत्तीसगढ़ के ही दंतेवाड़ा जिले की कोंटा तहसील के करीगुंडम गांव का रहने वाला था। मड़काम हिडमा को पूर्व में केरलापाल इलाके में माओवादियों की 10 नंबर प्लाटून की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जबकि माओवादियों ने यह स्वीकार किया है कि मड़काम हिडमा की मौत 20 जून, 2011 को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में हो गई थी। उसके शव को उठाने के क्रम में उसका अंगरक्षक कुंजाम मनोज भी सुरक्षा बलों की गोली का शिकार बना था।

सूत्रों के अनुसार 24 अप्रैल को सुकमा में माओवादियों के हमले के समय दंतेवाड़ा से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित वेलाडिला पहाड़ पर भाकपा (माओवादी) महासचिव गणपति, पोलित ब्यूरो सदस्य वेणुगोपाल राव, माओवादी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के सदस्य रामाकृष्ण समेत कुछ शीर्ष माओवादी मौजूद थे। उन्हीं के निर्देश पर इस घटना को अंजाम दिया गया। उस इलाके में सुरक्षा बलों की पहुंच कम होने के कारण माओवादियों की ही सरकार चलती है।

साथियों का शव नहीं छोड़ते माओवादी

सामान्य रूप में माओवादी किसी मुठभेड़ में अपने साथियों के मारे जाने की बात स्वीकार नहीं करते हैं। साथ ही मुठभेड़ स्थल पर अपने साथियों का शव नहीं छोड़ते हैं। सुकना में भी यही हुआ। माओवादियों का कोई भी नेता बताने को तैयार नहीं है कि जांबाज सीआरपीएफ जवानों की जवाबी कार्रवाई में कितने माओवादी मारे गए। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस ऑपरेशन में माओवादियों को बड़ी क्षति हुई है। साथ ही योजना के अनुसार वे बड़ी संख्या में जवानों के हथियार भी नहीं लूट सके। जबकि उनके 16 साथी मौत के घाट उतार दिए गए।

मरने वाले नक्सलियों में ये थे शामिल

कॉमरेड मिसडाल, विलास वामन, तुलावी वदरु, राज रामाल, मनोज वागाल, मुहंदा वोगा, वदरु कोवाची, माड़वी वोगा, वुधरु उंगाल, एमला पाकलु, कॉमरेड कोरसा, कॉमरेड मड़काम, पदोप सधरु, मड़ावी उसेंडी, मंगली लखमु। ये सारे माओवादी दक्षिण बस्तर डिविजन के दंतेवाड़ा जिले के रंगाईगुड़ा, भेज्जी, जगुरगोंडा,, तडि़मेटला, पोलमपल्ली, कोंचा, चिमिरकल और पश्चिम बस्तर डिविजन के गंगालुर, कुवाकोंडा तथा गरियावंद जिले के जोलाराव, वीजापुर आदि गांवों के निवासी थे।

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छत्तीसगढ़ में बुरकापाल हमले के बाद नक्सलियों को उनकी मांद में घेरने की तैयारी के साथ फोर्स जंगलों में निकल चुकी है। नक्सलियों की तलाश में चिंतागुफा, बुरकापाल और चिंतलनार कैंपों से जवान शनिवार शाम से जंगल में घुसे हैं। सड़क पर जवानों की मौजूदगी नहीं दिख रही है। आसपास के गांवों में भी हलचल नहीं है। फोर्स के इस अभियान को गोपनीय रखा गया है।

सीआरपीएफ ने कहा है कि हम ऐसे अभियानों की जानकारी साझा नहीं कर सकते। आंतरिक सुरक्षा सलाहकार विजय कुमार ने शनिवार को सुकमा में अफसरों की बैठक लेकर रणनीति तैयार की। तय किया गया कि फिलहाल फोर्स रोड ओपनिंग का काम नहीं करेगी। नक्सलियों पर सीधे अटैक की कार्रवाई होगी। इसके तुरंत बाद शाम को ही फोर्स को जंगलों में उतार दिया गया। दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर पड़ने वाले कैंपों से सीआरपीएफ की अलग-अलग टुकडि़यों को चारों दिशाओं में रवाना किया गया है। रविवार शाम तक फोर्स जंगल से नहीं लौटी थी। 15 दिन तक जवान जंगलों की खाक छानेंगे। दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला के पहाड़ पर नक्सल नेताओं के जमावड़े की सूचना पर किरंदुल से फोर्स रवाना की गई।

दंतेवाड़ा और सुकमा को जोड़ने वाले कटेकल्याण के गाटम कैंप से डीआरजी और जिला पुलिस के दस्ते जंगल भेजे गए हैं। अरनपुर से भी जगरगुंडा की ओर एक दल रवाना किया गया है। बीजापुर में गंगालूर से डीआरजी के जवानों ने शनिवार रातभर जंगलों में जगह-जगह छापा मारा। सुबह यह दल वापस लौट आया है। बासागुडा की तरफ से भी जवानों को रवाना किया गया है। दंतेवाड़ा में पुलिस का बहुत दबाव है। बैलाडीला पहाड़ पर नक्सलियों के होने की संभावना कम है। सीआरपीएफ के डीआइजी डी पी उपाध्याय ने कहा कि दंतेवाड़ा फोर्स ऑपरेशन में निकली है या नहीं, ऐसी जानकारियां हम साझा नहीं करते।

सुरक्षाबलों ने दो इनामी नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों नक्सली सामान खरीदने बारसूर साप्ताहिक बाजार पहुंचे थे। नारायणपुर के मोडोनार ओरछा निवासी बागलू व कोपाराम को रविवार को मुखबिर की सूचना पर सीआरपीएफ व जिला बल ने घेराबंदी बारसूर बाजार से गिरफ्तार किया। बताया गया है कि गिरफ्तार बागलू अलामी नक्सलियों के प्लाटून नंबर 16 का सक्रिय सदस्य है। जबकि कोपाराम जनमिलिशिया सदस्य के रू प में काम करता था। -


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