कारगिल के 15 साल बाद भी जारी आतंक की घुसपैठ
कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, जिसमें भारत के 527 जवान शहीद हुए थे, लेकिन उसके बाद से सीमा पर आतंकवाद की घटनाएं जारी हैं।
भारत-पाक के बीच विदेश सचिव स्तर की बातचीत 25 अगस्त को प्रस्तावित है। पिछले दिनों जब रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने सीमा पार से हो रहे संघर्ष विराम के उल्लंघन पर संसद में बयान दिया तो 15 साल पहले की घटनाओं का ताजा होना लाजिमी था।
शरीफ, राजग सरकार और आतंकवाद
1999 में भी पाकिस्तान से एक ओर वार्ता का दौर जारी था, तो दूसरी ओर सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें तेज हो गई थीं। इसकी परिणति कारगिल युद्ध के रूप में हुई थी। तब भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे और भारत में राजग की ही सरकार थी।
यानी राजनीतिक हालात तकरीबन एक जैसे हैं। घुसपैठ और सीमा पार आतंकवाद अब भी जारी है। कश्मीर में बीते 15 सालों में सीमा पर से करीब 8 हजार घुसपैठ की घटनाएं हुई हैं।
कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, जिसमें भारत के कुल 527 जवान शहीद हुए थे, लेकिन उसके बाद से सीमा पर आतंकवाद की घटनाएं जारी हैं और इनमें सुरक्षा बलों के साथ आम नागरिक भी अपनी जान गंवा रहे हैं। अकेले कश्मीर में बीते 15 सालों में 3230 जवान शहीद हुए हैं।
सीजफायर का लगातार उल्लंघन
कारगिल युद्ध के बाद भारत-पाक के बीच रिश्तों में तल्खी आ गई थी। इसके बाद 26 नवंबर 2003 को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का समझौत हुआ। पहले तीन साल तो हालात सामान्य रहे, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने सीजफायर पर कभी अमल नहीं किया।
पाकिस्तानी रेंजर्स की ओर से पिछले एक साल में ही 200 से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है, जिसमें भारत के 13 जवान शहीद हो गए और 41 गंभीर घायल हुए। इसके अलावा स्थानीय लोगों को भी जान माल का नुकसान उठाना पड़ा।
पिछली संप्रग सरकार ने पाकिस्तान को चेताया, लेकिन पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का उल्लंघन जारी रहा। नरेंद्र मोदी के "ङधानमंत्री बनने के बाद से अब तक सीमा पर 19 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है। इससे पहले 2012 में 93, 2011 में 51, 2010 में 44, 2009 में 28, 2008 में 77, 2007 में 21 और 2006 में 3 बार सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन किया गया।
15 साल पहले 3 मई का वह दिन
15 साल पहले 3 मई, 1999 को चरवाहों ने पहली बार घुसपैठियों को देखा था। और 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना-वायुसेना ने पाकिस्तान के घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ा था। इस बीच देश ने 500 से ज्यादा जवानों को खोया। कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम का समझौता भी किया, लेकिन इसका लगातार उल्लंघन होता रहा है।
कारगिल युद्ध
- कब : मई और जुलाई 1999 के बीच
- कहां: कश्मीर के कारगिल जिले में
- किसके बीच : पाकिस्तान सेना- उग्रवादी और भारतीय सेना
- क्यों: पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पार कर भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश
- संख्या बल : लगभग तीस हजार भारतीय सैनिक और पांच हजार घुसपैठिये
- भारत के 527 जवान शहीद हुए, जबकि 1363 घायल हुए। वहीं पाकिस्तान के 453 सैनिक और घुसपैठिए मारे गए और 665 से ज्यादा जख्मी हुए।
- परिणाम : भारतीय सेना ने पाक सेना को सीमा पार वापसी के लिए मजबूर किया
- खास बात: परमाणु शस्त्र बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला सशस्त्र संघष
- बदलाव: पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ी। नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति बने। भारत सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फिल्में बनीं, जिनमें एलओसी कारगिल, लक्ष्य और द्रूप मुख्य हैं।