Move to Jagran APP

यूरिया सब्सिडी में 100 करोड़ का गोलमाल

यूरिया कंपनियों ने किराया अनुदान में लगभग 100 करोड़ रुपये का खेल कर दिया, जिसे कृषि विभाग के वित्त नियंत्रक ने पकड़ा। इस पर उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय ने कानपुर नगर समेत चार प्रदेशों के 15 यूरिया कंपनियों पर जांच भी बैठा दी है और एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2015 08:24 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2015 08:54 PM (IST)
यूरिया सब्सिडी में 100 करोड़ का गोलमाल

कानपुर : यूरिया कंपनियों ने किराया अनुदान में लगभग 100 करोड़ रुपये का खेल कर दिया, जिसे कृषि विभाग के वित्त नियंत्रक ने पकड़ा। इस पर उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय ने कानपुर नगर समेत चार प्रदेशों के 15 यूरिया कंपनियों पर जांच भी बैठा दी है और एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है। इनमें उत्तर प्रदेश में तीन, गुजरात तीन, राजस्थान दो, आंध्र प्रदेश दो, पंजाब व असम में एक-एक इंडस्ट्री शामिल हैं।

loksabha election banner

कंपनियों ने करीब 100 करोड़ रुपये किराया अनुदान का भुगतान उर्वरक वितरकों को नहीं किया है। कृषि विभाग के उप सचिव राम किंकर मिश्र ने संबंधित जिलों में सर्कुलर जारी कर रिपोर्ट तलब की है।

कृषि विभाग के वित्त नियंत्रक के अनुसार कानपुर नगर के पनकी उद्योगनगर में स्थित कानपुर फर्टिलाइजर्स एवं सीमेंट लिमिटेड को 3.79 लाख मीट्रिक टन यूरिया पहुंचाने को साढ़े चार रुपये प्रति टन प्रति किमी. के हिसाब से 8.98 करोड़ रुपये सब्सिडी स्वीकृत की गई।

कंपनी ने महज 4.67 करोड़ रुपये का भुगतान ही डीलरों को किया, बाकी 4.31 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहींहै। कृषि उत्पादन आयुक्त ने मामले में जिला कृषि अधिकारी नरोत्तम कुमार से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है।

क्या है मामला

रासायनिक उर्वरकों की किसानों तक उचित दर पर सुचारू रूप से उपलब्धता सुनिश्चित करने की खातिर उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय की ओर से सभी उर्वरक निर्माता इकाइयों के मुख्य अधिशासी व सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी हुए थे। उर्वरक वितरकों को किराया अनुदान प्रति टन प्रति किलोमीटर की दर से देने का आदेश दिया गया था। यूरिया कंपनियों ने जो डिमांड भेजी थी, उतनी सब्सिडी राशि उन्हें आवंटित कर दी गई लेकिन उनका वितरण डीलरों तक नहीं किया गया।

तीन वर्षो का खेल

कृषि विभाग के वित्त नियंत्रक ने दो दिन पहले विकास भवन में चिट्ठी जारी कर बड़े गोलमाल की ओर इशारा किया है। उनका कहना है कि वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14 व 2014-15 में कंपनियों ने एक अरब रुपये किराया अनुदान का भुगतान नहीं किया।

कई राज्यों में होती सप्लाई

इन फैक्टि्रयों द्वारा रेलवे व ट्रक से यूरिया संबंधित डीलरों के जिलों तक पहुंचाई जाती है। संबंधित रैक प्वाइंट से डीलर तक पहुंचाने में औसतन साढ़े चार रुपये प्रति टन प्रति किमी. किराया सब्सिडी निर्धारित की गई है। उप सचिव कृषि विभाग ने कंपनियों द्वारा उर्वरकों की कालाबाजारी की भी बात कही है, इसके कारण किसानों को उचित दर पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में कठिनाई महसूस हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.