मोदी ने कहा-हार मंजूर, धर्म पर नहीं मांगेंगे वोट
सांप्रदायिकता की राजनीति को सिरे खारिज करते हुए नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि उन्हें चुनाव में पराजय स्वीकार होगी लेकिन वह धर्म के आधार पर वोट नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी अपील देश के सभी 125 करोड़ लोगों से है। पूरा देश एक है। उसे धर्म-संप्रदाय के आधार पर बांटकर सत्ता में पहुंचना ध्येय नहीं है। एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से लेकर विभागों को लेकर प्रशासकीय सोच भी बताई।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सांप्रदायिकता की राजनीति को सिरे खारिज करते हुए नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि उन्हें चुनाव में पराजय स्वीकार होगी लेकिन वह धर्म के आधार पर वोट नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी अपील देश के सभी 125 करोड़ लोगों से है। पूरा देश एक है। उसे धर्म-संप्रदाय के आधार पर बांटकर सत्ता में पहुंचना ध्येय नहीं है। एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से लेकर विभागों को लेकर प्रशासकीय सोच भी बताई।
पत्रकारों के सवालों से बचने का आरोप झेल रहे मोदी ने अब लगातार हर किसी का जवाब देना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को सीएनबीसी आवाज को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'सोनिया गांधी मुस्लिम, सिख, ईसाई, जिससे चाहें मिलें। इसमें कोई दोष नहीं है। यह तो लोकतंत्र का भाग है। लेकिन किसी धर्मगुरु से मिलकर धर्म के आधार पर वोट मांगना चिंता का विषय है। यह संविधान के भी खिलाफ है। राजनाथ सिंह भी मिले लेकिन उन्होंने धार्मिक आधार पर वोट नहीं मांगा। मैं भी हार जाना पसंद करूंगा लेकिन धर्म के आधार पर अपील नहीं करूंगा। मेरी अपील देश की समस्त जनता से है।'
सवाल जवाब में मोदी ने फिर से स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार बनी तो बदले की भावना से नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका जोर भ्रष्टाचार के पुराने मुर्दे उखाड़ना नहीं, बल्कि भविष्य में उसे नहीं होने देने पर होगा। इसके लिए सक्षम प्रणाली बनाई जाएगी। यदि प्रधानमंत्री के रूप में उनपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तो वे उसकी निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। वहीं राजनीति के अपराधीकरण को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि दागी सांसदों की सूची सुप्रीम कोर्ट को दी जा सकती है। उन्होंने सांसदों की तर्ज कर विधायकों की भी स्क्रूटनी की वकालत की। वह पहले ही कह चुके हैं कि दागी सांसदों-विधायकों के मामलों की सुनवाई एक साल के अंदर खत्म होनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर भाजपा जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) को लागू करेगी।
चुनावी सर्वे में जहां उनकी सरकार को बहुमत के करीब दिखाया जाने लगा है, मोदी ने मंत्रालयों के कामकाज पर भी अपनी सोच स्पष्ट कर दी। खासकर रेलवे को अति महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश के विकास का इंजन बनाया जा सकता है। संघीय ढांचे और केंद्र-राज्य संबंधों पर भाजपा घोषणापत्र में भी एक टीम इंडिया की तर्ज पर काम करने का वादा किया गया है। मोदी ने शुक्रवार को साक्षात्कार में भी इसे दोहराया। मोदी ने कहा कि हर कदम गंभीरता से उठाया जाना चाहिए जबकि समीक्षा सौ दिन या एक साल के आधार पर नहीं बल्कि पांच साल के आधार पर होनी चाहिए।
भाजपा के कामकाज में संघ के दखल से इन्कार करते हुए उन्होंने कहा कि खबर गढ़कर बेचने वालों ने इस तरह का भ्रम फैलाया है। आरएसएस को देश का सबसे बड़ा गैर सरकारी सांस्कृतिक संगठन बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लोग पवित्र हैं और देश के लिए काम करते हैं। खुद उनके जीवन में आरएसएस के कारण स्वभाव, संस्कार और अनुशासन आया है। उन्होंने कहा कि संघ की ओर से चुनाव से जुड़े निर्देश नहीं आते हैं।
ममता सरकार से तालमेल बैठा काम करेंगे
कोलकाता : भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया है कि यदि उनकी पार्टी केंद्र की सत्ता में आती है तो वह पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से तालमेल बैठाकर काम करेगी। खासकर राज्य में उद्योगों के लिए बेहतर माहौल तैयार किया जाएगा और सिंगुर विवाद जैसे मुद्दों का भी समाधान ढूंढा जाएगा। एक बंगाली पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में मोदी ने कहा-'मुझे पूरी उम्मीद है कि तृणमूल कांग्रेस राज्य के विकास के लिए वोटबैंक की राजनीति में नहीं संलिप्त होगी। ममता बनर्जी मेरे बारे में चाहे जो कहें मैं उन पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं गारंटी देता हूं कि दोनों दलों के विचारों में अंतर के बावजूद बंगाल के विकास में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। जब मैं गुजरात से बाहर देश के विकास के बारे में सोचता हूं तो सिंगुर का मुद्दा भी मेरे जेहन में आता है।'
'मेरी अपील हिंदू या मुस्लिम से नहीं बल्कि देश के 125 करोड़ लोगों से होगी। अगर उन्हें यह उचित लगता है तो ठीक है। नहीं तो मैं चुनाव में हारने के लिए तैयार हूं।
'सोनिया गांधी मुस्लिम, सिख, ईसाई, जिससे चाहें मिलें। इसमें कोई दोष नहीं है। यह तो लोकतंत्र का भाग है। लेकिन किसी धर्मगुरु से मिलकर धर्म के आधार पर वोट मांगना चिंता का विषय है।'- नरेंद्र मोदी