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यूपी असेंबली पोल 2017: पिछले चुनावों में ऐसा रहा प्रमुख राजनीतिक दलों का परफार्मेंस

पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाने से पता चलता है कि हर बार किसी एक पार्टी को अन्‍य के मुकाबले काफी ज्‍यादा सीटें मिलती रही हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 11 Feb 2017 10:33 AM (IST)Updated: Sun, 19 Feb 2017 09:54 AM (IST)
यूपी असेंबली पोल 2017: पिछले चुनावों में ऐसा रहा प्रमुख राजनीतिक दलों का परफार्मेंस

नई दिल्ली। कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश की राजनीति से होकर गुजरता है। इसलिए सभी राष्ट्रीय पार्टियों का जोर यूपी विधानसभा चुनाव पर सबसे ज्यादा रहता है। लेकिन यूपी की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, ये कहना बड़ा मुश्किल होता है। पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 224 सीटें मिली थी। लेकिन साल 2007 के विधानसभा चुनाव सपा 100 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी।

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समाजवादी पार्टी ने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। दूसरी कोई भी पार्टी पिछले चुनाव में 100 सीटों को आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी। तब बहुजन समाज पार्टी को 80 सीटें, भारतीय जनता पार्टी को 47 सीटें, कांग्रेस को 28 सीटें और रालोद को सिर्फ 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। सपा अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेख यादव दावा कर रहे हैं कि इस बार भी वह बहुमत हासिल कर सरकार बनाएंगे।

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इस बार उत्तर प्रदेश में किस पार्टी की सरकार बनेगी, ये तो 11 मार्च को ही पता चलेगा, जब मतगणना होगी। लेकिन साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी मायावती की बसपा रही थी, जिसे 206 सीटें मिलीं। इन चुनावों में भी कोई दूसरी पार्टी 100 सीटों के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी। तब सपा को 97 सीटें, भाजपा को 51 सीटें, और कांग्रेस को सिर्फ 22 सीटें ही मिल पाई थीं।

वहीं साल 2002 में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें, तो तब किसी पार्टी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था। उन चुनावों में समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 143 सीटें मिली थी। दूसरे नंबर पर बसपा रही, जिसे 98 सीटें मिलीं। वहीं भाजपा को 88 और कांग्रेस को 25 सीटें ही मिल पाई थीं।

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पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाने से पता चलता है कि हर बार किसी एक पार्टी को अन्य के मुकाबले काफी ज्यादा सीटें मिलती रही हैं। अन्य पार्टियां 100 के आंकड़े को भी नहीं छू पाती हैं। क्या इस बार भी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के नतीजों में यही देखने को मिलेगा?

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