एक दिन में हो सकेगा कंपनी का पंजीकरण
आर्थिक सुधारों से जुड़े बड़े फैसलों के साथ-साथ सरकार देश में कारोबार करने से जुड़ी प्रक्रियाओं को भी आसान बनाकर मैन्यूफैक्च¨रग को प्रोत्साहन दे रही है। चाहे वे औद्योगिक लाइसेंस की अवधि बढ़ाने का मामला हो या फिर उनमें क्षमता पर लगे प्रतिबंध को वापस लेना। इसी क्रम में सरकार अब कारोबारियों के लिए व्यापार करना
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आर्थिक सुधारों से जुड़े बड़े फैसलों के साथ-साथ सरकार देश में कारोबार करने से जुड़ी प्रक्रियाओं को भी आसान बनाकर मैन्यूफैक्च¨रग को प्रोत्साहन दे रही है। चाहे वे औद्योगिक लाइसेंस की अवधि बढ़ाने का मामला हो या फिर उनमें क्षमता पर लगे प्रतिबंध को वापस लेना। इसी क्रम में सरकार अब कारोबारियों के लिए व्यापार करना आसान बनाने की खातिर कुछ और कदम उठाने पर विचार कर रही है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग [डीआइपीपी] ने ऐसे कुछ कदम चिन्हित किए हैं, जिनसे उद्यमियों को राहत होगी। इसके तहत किसी भी कारोबार के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले समय को कम करने से लेकर श्रम कानून के तहत होने वाले सभी पंजीकरण एक ही स्थान पर किए जाने का प्रावधान है। डीआइपीपी ने सभी क्षेत्रों के लिए कुछ विशिष्ट सुधारों की पहचान की है, ताकि देश में कारोबार करने के माहौल में तब्दीली लाई जा सके। इसके लिए विभाग ने विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों के लिए 46 एक्शन प्वाइंट तैयार किए हैं।
कॉरपोरेट से जुड़ी सिफारिशें
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के लिए विभाग का सुझाव है कि व्यवसाय के पंजीकरण में लगने वाले समय को मौजूदा 27 दिन से घटाकर कनाडा और न्यूजीलैंड के समान एक दिन किया जाना चाहिए। साथ ही कारोबार की शुरुआत के लिए न्यूनतम चुकता पूंजी और कंपनी की मुहर [सील] होने की अनिवार्यता समाप्त की जा सकती है।
कम हो करों की संख्या
राजस्व विभाग को करों की संख्या घटाने, टैक्स ढांचे को आसान बनाने और एसईजेड विकसित करने वाली कंपनियों व वहां लगने वाली यूनिटों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर [मैट]) खत्म करने का सुझाव दिया गया है। डीआइपीपी ने अपने इन सुझावों पर विभिन्न मंत्रालयों के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है।
हालात बदलने की कोशिश
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक कारोबार करने के माहौल के मामले में भारत का दुनिया में 134वां स्थान है। इस सूची में सिंगापुर शीर्ष पर है। इस हालात को बदलने के लिए बीते दो महीने में सरकार ने कई फैसले ऐसे लिए हैं, जिनका असर आने वाले महीनों में औद्योगिक माहौल पर दिखेगा। सबसे पहला काम सरकार ने औद्योगिक लाइसेंस की अवधि को एकमुश्त सात साल के लिए जारी करने का फैसला किया। साथ ही औद्योगिक लाइसेंस में रक्षा इकाइयों की उत्पादन क्षमता में विस्तार की अधिकतम सीमा की अनिवार्यता को भी हटा दिया है। इसे अब सरकारी नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है।
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