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कॉल ड्रॉप की टेक्नोलॉजी का विवरण मांगेगा ट्राई

कॉल ड्रॉप के मामले में कथित हेराफेरी के मामले में टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई सक्रिय हो गया है। ट्राई मोबाइल ऑपरेटरों से रेडिया लिंक टाइम आउट टेक्नोलॉजी का विवरण मांगेगा।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 08:23 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 08:56 PM (IST)

नई दिल्ली, प्रेट्र । कॉल ड्रॉप के मामले में कथित हेराफेरी के मामले में टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई सक्रिय हो गया है। ट्राई मोबाइल ऑपरेटरों से रेडिया लिंक टाइम आउट टेक्नोलॉजी का विवरण मांगेगा। कथित तौर पर इस तकनीक का इस्तेमाल करके कॉल ड्रॉप की मास्किंग हो रही है। इससे उपभोक्ताओं को ज्यादा बिल चुकाना पड़ता है।

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कॉल ड्रॉप पर ट्राई को मिलेगा सजा देने का अधिकार !

ट्राई के चेयरमैन आर. एस. शर्मा ने एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को बताया कि इस मामले में कोई जांच शुरू करने से पहले हम कंपनियों से रेडिया लिंक टेक्नोलॉजी (आरएलटी) की जानकारी मांगेंगे। ट्राई जानकारी लेगा कि दुनिया भर में इस तकनीक के लागू मानक क्या हैं। क्या कंपनियां इन मानकों का पालन कर रही है या नहीं। भारतीय कंपनियों पर इसके मानक पिछले एक साल से लागू हैं।

ट्राई के ताजा परीक्षण अभियान में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी एमटीएनएल नेटवर्क आधारित सर्विस के सभी क्वालिटी मानकों पर विफल रही है। रिपोर्ट के अनुसार एयरसेल और वोडाफोन अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले आरएलटी का इस्तेमाल उच्चतर स्तर पर कर रहा है। आरएलटी एक ऐसा मानक है जिसके आधार पर वह अवधि तय होती है जिसके दौरान सिग्नल क्वालिटी निश्चित स्तर से गिरने पर कॉल ड्रॉप हो जाती है।

एक सरकारी सूत्र के अनुसार कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर इस तकनीक का इस्तेमाल कॉल ड्रॉप की मास्किंग के लिए कर रही हैं। कॉल ड्रॉप मास्किंग में सिग्नल कमजोर होने पर वास्तव में कॉल जारी नहीं रह पाती है। लेकिन कॉल कटती नहीं है और इसकी अवधि लंबी खिंचने से उपभोक्ताओं को ज्यादा चार्ज देना पड़ता है। ट्राई प्रमुख के अनुसार हैदराबाद और भोपाल में टेस्ट ड्राइव की रिपोर्ट जल्दी ही सार्वजनिक की जाएगी।

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई के उस आदेश को रद कर दिया है जिसमें उसने प्रत्येक कॉल ड्रॉप के लिए एक रुपया (प्रति दिन अधिकतम तीन रुपये) हर्जाना देने का निर्देश दिया था।

स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज तीन फीसद

टेलीकॉम कमीशन ने टेलीकॉम ऑपरेटरों पर तीन फीसद की दर से स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (एसयूसी) लगाने का फैसला किया है। कंपनियों के समायोजित कुल राजस्व पर यह चार्ज लगेगा। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी पर यह चार्ज देय होगा। ब्रॉडबैंड वायरलैस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम, मौजूदा एसयूसी रेट और स्पेक्ट्रम के बीच इसके लिए वेटेड एवरेज निकाला जाएगा। सरकारी राजस्व को किसी भी नुकसान से बचाने के लिए ऑपरेटरों को कम से कम वह चार्ज देना होगा, जो उन्होंने वर्ष 2015-16 में दिया था।

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