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नियंत्रण वाली सोच से बाहर निकलें नीति निर्माता

देश में नीति निर्माताओं की मानसिकता आज भी सब कुछ अपने नियंत्रण में रखने और मनमुताबिक चलाने वाली है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि इस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। जहां भी संभव हो सरकार की भूमिका को कम से कम करते हुए उसके एकाधिकार

By Murari sharanEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2015 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2015 12:26 AM (IST)
नियंत्रण वाली सोच से बाहर निकलें नीति निर्माता

नई दिल्ली। देश में नीति निर्माताओं की मानसिकता आज भी सब कुछ अपने नियंत्रण में रखने और मनमुताबिक चलाने वाली है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि इस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। जहां भी संभव हो सरकार की भूमिका को कम से कम करते हुए उसके एकाधिकार को समाप्त किया जाना चाहिए।

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जन केंद्रित शासन पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक सुधारों के लिए कारोबार करना सुगम बनाने की दिशा में प्रयास जारी रहेंगे। यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। इसके अंत की कोई रेखा नहीं है। उन्होंने पुलिस और नागरिकों के बीच संवाद को सभ्य व सुसंस्कृत बनाने के लिए पुलिस व्यवस्था में सुधार के महत्व को भी रेखांकित किया।

वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक प्रणाली की नियंत्रण में रखने वाली सोच अब तक पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई है। यह विरासत में आ रही है। सरकार के पूरे प्रयास सिर्फ नागरिकों को बेहतर जीवनस्तर मुहैया कराने की दिशा में होने चाहिए। इन कोशिशों के तहत सरकार की भूमिका को न्यूनतम किया जाना चाहिए। जहां भी ऐसा किया गया, हालात बेहतर हुए हैं। विमानन में सरकार ने भूमिका कम की और रेलवे में नहीं की। दोनों के नतीजे साफ हैं। खास बात यह है कि रेलवे का संचालन ही अब एक ऐसा क्षेत्र रह गया, निजी क्षेत्र की भूमिका नहीं है।

भूमिका घटाने के कई तरीके

जेटली बोले कि भूमिका को घटाने के कई तरीके हैं। जहां तक प्रक्रियाओं का सवाल है, तो प्रत्येक विभाग को इन्हें आसान बनाने की तरफ बढ़ना होगा। खासतौर से उन विभागों को जिनका लोगों से सीधा संपर्क है। उन्होंने उल्लेख किया टेक्नोलॉजी के उपयोग ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रणाली को सुधारने में मदद की है। शीघ्रता से रीफंड किए जा रहे हैं। कारोबार सुगम बनाने का मतलब है कि पड़ोसियों की तुलना में सरकार बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी टैक्स दरें मुहैया कराए।

टैक्स रियायतें खत्म करने का इरादा

सरकार का इरादा अगले चार साल में कॉरपोरेट टैक्स को 30 से घटाकर 25 फीसद करने का है। साथ ही वह चाहती है कि ज्यादातर कर रियायतों को समाप्त किया जाए। कंपनियों को दी जाने वाली तमाम छूटों की वजह से सरकार को वास्तविक कर 22 फीसद ही मिल पाता है।

लेकिन हमारी ग्लोबल छवि 30 फीसद से अधिक कर लेने वाले देश के तौर पर खराब बनी हुई है। इन छूटों की वजह से कई तरह के विवाद चल रहे हैं। लिहाजा उन्होंने फैसला किया है कि कॉरपोरेट कर की दर घटाई जाएगी और सभी तरह की छूटें समाप्त होंगी।

एलपीजी सब्सिडी 30 फीसद घटी

अन्य सुधारों की चर्चा करते हुए जेटली ने जैम (जन धन योजना, आधार और मोबाइल) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन तीनों कार्यक्रमों से योजनाओं का दुरुपयोग रोकने में मदद मिली है। जैम में एलपीजी को शामिल करके 30 फीसद तक एलपीजी सब्सिडी बचाई गई है।

उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश के फैसले और इस पर काम करने के निर्णय के बीच अंतर कम किया जाना चाहिए। विभिन्न प्रक्रियाओं को आसान बनाकर सरकार इस दिशा में काम कर रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।


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