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सस्ता नहीं पड़ेगा सहयोगी बैंकों का विलय

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज की मानें तो एसबीआई और उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय सस्ता नहीं पड़ने जा रहा है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 20 May 2016 09:26 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2016 10:26 PM (IST)
सस्ता नहीं पड़ेगा सहयोगी बैंकों का विलय

मुंबई, प्रेट्र। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय सस्ता नहीं पड़ने जा रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज की मानें तो एसबीआई को इस काम में 1,660 करोड़ रुपये (25 करोड़ डॉलर) की लागत आएगी। अलबत्ता एजेंसी के मुताबिक बैंक की क्रेडिट रेटिंग पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा। एसबीआई ने सहयोगी बैंकों के साथ ही भारतीय महिला बैंक के विलय का प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया था। उसने इसके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी भी मांगी है।

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मूडीज ने विलय की लागत संबंधी अनुमान एसबीआइ के तीन लिस्टेड सहयोगी बैंकों के मौजूदा कीमत पर आउटस्टैंडिंग शेयरों के अधिग्रहण के आधार पर लगाई है। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर व स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शेयर बाजार में लिस्टेड हैं।

भारतीय स्टेट बैंक में सहयोगियों के विलय की बात पांच साल से चल रही है। केंद्र की भी मंशा यही है कि एसबीआइ विलय के काम को आगे बढ़ाए। इसी प्रक्रिया को तेज करते हुए मंगलवार को पहले सहयोगी बैंकों के निदेशक बोर्डो ने एसबीआइ में विलय का प्रस्ताव किया। इसके बाद एसबीआइ के बोर्ड ने भी विलय संबंधी प्रस्ताव पेश कर दिया।

ये हैं पांच सहयोगी बैंक

फिलहाल एसबीआइ के पांच सहयोगी बैंक हैं। ये स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला हैं। एसबीआइ 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का खुद में विलय कर लिया था।

हड़ताल पर रहे 50 हजार कर्मचारी

इस विलय प्रस्ताव के विरोध में एसबीआइ के पांचों सहयोगी बैंकों के करीब 50 हजार कर्मचारी शुक्रवार को हड़ताल पर रहे। इसकी वजह से इन बैंकों में कामकाज प्रभावित हुआ।

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इस हड़ताल का आह्वान ऑल इंडिया बैंक इंप्लॉईज एसोसिएशन (एआइबीईए) ने किया था। एसोसिएशन ने कहा कि एसबीआइ प्रबंधन के अडि़यल रवैये ने कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने को मजबूर किया है। एआइबीईए का आरोप है कि एसबीआइ जबरन सहयोगी बैंकों का विलय कर रहा है।


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