कोयले पर हटे पर्यावरण सेस
बजट में कोयले पर पर्यावरण सेस को दोगुना करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग उठने लगी है। इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आइसीपीपीए) ने कहा है कि कोयले पर सेस प्रगतिशील टैक्स नहीं है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
नई दिल्ली। बजट में कोयले पर पर्यावरण सेस को दोगुना करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग उठने लगी है। इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आइसीपीपीए) ने कहा है कि कोयले पर सेस प्रगतिशील टैक्स नहीं है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
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आइसीपीपीए का कहना है कि बजट 2016-17 में सरकार ने पर्यावरण सेस दोगुना किया है। चीन के मुकाबले हम पहले ही कोयले की दोगुनी कीमत चुका रहे हैं। लिहाजा पर्यावरण सेस प्रगतिशील टैक्स नहीं है। मजबूत और टिकाऊ राष्ट्रीय नीति को हासिल करने के लिए इसकी समीक्षा होनी चाहिए। 'स्वच्छ ऊर्जा सेस' का नाम बदलकर 'स्वच्छ पर्यावरण सेस' करते हुए सरकार ने कोयले, लिग्नाइट और पीट पर सेस को 200 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 400 रुपये किया है।
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आइसीपीपीए ने कोयले पर 400 रुपये टन के इस पर्यावरण सेस को पूरी तरह हटाने का अनुरोध किया है। सरकार कह चुकी है कि अधिक कोल सेस से होने वाली आमदनी को वह पर्यावरण की सफाई में इस्तेमाल करेगी। 2018 तक उसे कोल सेस से 40 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।