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कालेधन पर सरकार का एक और कदम, भारतीय खाताधारकों की जानकारी देगा स्विस बैंक

भारत और स्विट्जरलैंड के बीच इप्लीमेंटिंग ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फोर्मेशन (एईओआइ) लागू करने के लिए संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये गये।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 22 Nov 2016 07:11 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2016 11:49 AM (IST)

नई दिल्ली, प्रेट्र। काले धन को लेकर भारत को विदेश में बड़ी सफलता मिली है। स्विट्जरलैंड सितंबर 2019 के बाद स्विस बैंक में भारतीयों के खातों की जानकारी ऑटोमैटिक रूट से साझा करने को तैयार हो गया है। हालांकि स्विस बैंक के पुराने खातों की जानकारी नहीं दी जाएगी। जबकि सितंबर 2019 में भारत को पहली बार जानकारी मिलेगी।

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भारत और स्विट्जरलैंड के बीच इप्लीमेंटिंग ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फोर्मेशन (एईओआइ) लागू करने के लिए संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये गये। इसके अनुसार दोनों देश ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप 2018 में डाटा एकत्रित करना शुरू करेंगे और उनका आदान-प्रदान 2019 से शुरू होगा। हस्ताक्षरित घोषणा के अनुसार स्विट्जरलैंड जहां ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार ऑटोमैटिक रूप से खातों की जानकारी देना, वहीं भारत को इन सूचनाओं की गोपनीयता बनाये रखनी होगी।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि भारत को सितंबर 2019 के बाद स्विस बैंक के उन खातों की जानकारी मिल सकेगी जो 2018 और इसके बाद खुलेंगे। राजस्व सचिव हसमुख अढि़या ने ट्वीट करके कहा कि भारत के लिए यह बड़ी सफलता है। आयकर विभाग को स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा 2018 से जमा धन की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।स्विस फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस ने एक बयान में कहा कि संयुक्त घोषणा के जरिये स्विट्जरलैंड एईओआइ के मानकों की पुष्टि करता है। वह एईओआइ पार्टनर देशों का नेटवर्क मजबूत कर रहा है।

भारत जारी किये गये आंकड़ों की गोपनीयता बनाये रखने की वांछित शर्तो को पूरी करता है।देश में समय-समय पर इस बात पर बहस होती रही है कि स्विट्जरलैंड में भारतीय काला धन जमा करते हैं। स्विट्जरलैंड कुछ वर्ष पहले तक इसकी सूचनाएं कठोर गोपनीयता में रखता रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्विट्जरलैंड पर गोपनीयता संबंधी कठोर नियमों में ढील देने का दबाव डाला गया।

इसके बाद वह सूचनाएं साझा करने को तैयार हुआ है। लेकिन इसके लिए उसने कई शर्ते लगाई हैं। अभी भी स्विस बैंक में खातों की जानकारी के लिए तमाम अनुरोध लंबित पड़े हैं। ताजा घोषणा पत्र में पिछले अनुरोध पत्रों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

जून में हुआ था करार:

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति जोहान श्नाइडर अम्मान के बीच जिनेवा में 6 जून को एक बैठक हुई थी। इसके ठीक बाद स्विट्जरलैंड के सीनियर अफसर के डेलिगेशन ने राजस्व सचिव हसमुख अढिया से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान बायलेटरल और मल्टीलेटरल टैक्स व फाइनेंशियल मुद्दों पर बातचीत हुई थी। स्विट्जरलैंड के इंटरनेशनल फाइनेंशियल अफेयर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी जैकस डे वाटविले ने कहा था कि स्विट्जरलैंड के पास अब जरूरी कानूनी आधार है, जिससे इनफॉर्मेशन्स के ऑटोमैटिक एक्सचेंज को लागू किया जा सकता है।


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