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कृषि आय बीमा योजना पर मुख्यमंत्रियों से मांगी राय

कृषि आय बीमा योजना के प्रस्तावित मसौदे पर केंद्र ने राज्य सरकारों से उनकी राय मांगी है, ताकि प्रस्तावित मसौदे को अंतिम रूप देने में सहूलियत हो। इसी बाबत केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है। अगले सप्ताह राज्यों के साथ गहन विचार-विमर्श करने के लिए राजधानी दिल्ली में सम्मेलन भी बुलाया गया ह

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 09:49 PM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 08:42 PM (IST)
कृषि आय बीमा योजना पर मुख्यमंत्रियों से मांगी राय

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कृषि आय बीमा योजना के प्रस्तावित मसौदे पर केंद्र ने राज्य सरकारों से उनकी राय मांगी है, ताकि प्रस्तावित मसौदे को अंतिम रूप देने में सहूलियत हो। इसी बाबत केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है। अगले सप्ताह राज्यों के साथ गहन विचार-विमर्श करने के लिए राजधानी दिल्ली में सम्मेलन भी बुलाया गया है।

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नई कृषि आय बीमा योजना के मसौदे पर राज्यों के अधिकारियों से चर्चा पहले ही हो चुकी है। 21 और 22 सितंबर को राजधानी दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ उनके सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल होंगे। इस दौरान कृषि आय बीमा योजना के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा होगी।

कृषि मंत्री सिंह ने बताया कि मानसून आधारित होने की वजह से खेती अनिश्चितता वाला कारोबार हो गई है। उपज को लेकर किसानों की जान अटकी रहती है। इससे भी बड़ा जोखिम बाजार में फसल के मूल्य को लेकर होता है। उपज व मूल्य जैसे जोखिम से खेती घाटे का सौदा बनकर रह गई है। इससे किसानों की आय में उतार-चढ़ाव बना रहता है। यही वजह है कि निवेश की उनकी क्षमता, उत्पादन की तकनीक और कृषि क्षेत्र में पूंजी के निर्माण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

इन्हीं जोखिम के दोनों घटकों उपज और मूल्य की एकल नीति तंत्र के माध्यम से नुकसान को पूरा करने के लिए सरकार ने कृषि आय बीमा योजना शुरू करने का विचार किया है। दैवीय प्रकोप से बाढ़, सूखा और रोगों से चौपट होने वाली फसल की एवज में किसान के नुकसान को बचाने के लिए सरकार कृषि बीमा योजना लाने की तैयारी कर चुकी है। यह बीमा योजना छोटे व मझोले किसानों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वर्तमान फसल बीमा योजना की विसंगतियों को दूर करके नया मसौदा तैयार किया गया है।

पढ़ें: किसानों तक पहुंचेगी प्रकृति खेती


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