सॉफ्टबैंक का स्नैपडील पर बड़ा दांव
जापान के दिग्गज टेलीकॉम समूह सॉफ्टबैंक ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील पर बड़ा दांव लगाया है। उसने घरेलू कंपनी में 62.7 करोड़ डॉलर (करीब 3,
नई दिल्ली। जापान के दिग्गज टेलीकॉम समूह सॉफ्टबैंक ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील पर बड़ा दांव लगाया है। उसने घरेलू कंपनी में 62.7 करोड़ डॉलर (करीब 3,825 करोड़ रुपये) में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है। देश में किसी ई-कॉमर्स कंपनी में यह सबसे बड़ा निवेश है। भारत के बढ़ते ऑनलाइन बाजार में दमदार मौजूदगी के लिए मासायोशी सन की फर्म सॉफ्टबैंक ने यह निवेश किया है। कंपनी के इस कदम से ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है। बीते दिन जापानी फर्म ने भारत में 10 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।
ढाई लाख यूजरों वाली स्नैपडील भारत की तीसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है। जापान में आइफोन बेचने वाली सॉफ्टबैंक स्नैपडील में सबसे बड़ी शेयरधारक होगी। स्नैपडील में और निवेशकों ने भी निवेश किया है, लेकिन कंपनी ने इनके नामों का खुलासा करने से इन्कार कर दिया। जापान के सबसे धनी उद्योगपति मासायोशी सन की कंपनी सॉफ्टबैंक इस फंडिंग के जरिये भारत के बढ़ते ऑनलाइन कारोबार में अवसरों को भुनाना चाहती है। स्नैपडील इस निवेश का उपयोग अपने विस्तार में करेगी। ई-कॉमर्स फर्म इस साल अब तक करीब एक अरब डॉलर जुटा चुकी है।
वह अगले दो हफ्तों में बेंगलूर में 500 इंजीनियरों के साथ शोध एवं अनुसंधान केंद्र खोलेगी। अमेरिका में हाल ही में स्प्रिंट का अधिग्रहण करने वाली टोक्यो की फर्म ने यह तो बताया है कि वह स्नैपडील में सबसे बड़ी निवेशक है, लेकिन यह खुलासा करने से मना कर दिया कि उसने नई दिल्ली की फर्म में कितनी हिस्सेदारी खरीदी है। स्नैपडील के सह-संस्थापक कुणाल बहल ने कहा कि सॉफ्टबैंक के सहयोग से कंपनी का मनोबल बढ़ा है।
सॉफ्टबैंक कॉर्प के वाइस चेयरमैन निकेश अरोड़ा ने बताया कि इंटरनेट यूजर के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। इसके उलट अभी ऑनलाइन मार्केट का आधार बहुत छोटा है। सॉफ्टबैंक ने मोबाइल एड फर्म इनमोबी और मैसेजिंग एप हाइक में भी निवेश किया हुआ है। अन्य निवेशकों के साथ सॉफ्टबैंक टैक्सी सेवा फर्म ओएलए में भी 21 करोड़ डॉलर (करीब 1,260 करोड़ रुपये) का निवेश करने जा रही है।
चार गुना होगा ई-कॉमर्स सेक्टर गुवाहाटी। भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र का आकार 2018 तक बढ़कर चार गुना हो जाने की उम्मीद है। अनुमान है कि विस्तार के चलते चार साल में यह सेक्टर 14.5 अरब डॉलर के आंकड़े को छू लेगा।
रिसर्च व कंसल्टेंसी फर्म आरएनसीओएस के अनुसार 2014-18 के दौरान ई-कॉमर्स क्षेत्र के 40 से 45 फीसद की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है।