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80:20 आयात प्रतिबंध हटने से रुकेगी सोने की तस्करी

विश्व बाजार के सटोरियों की सोने पर पकड़ मजबूत होने से तेजी को बल मिला है। उसके बाद भी सोने में तेजी के आसार कम नजर आ रहे हैं। कुछ समूह द्वारा भारतीय करंसी से सोना खरीदी करने से भी तेजी को बल मिला है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Dec 2014 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 12 Dec 2014 04:29 PM (IST)

इंदौर। विश्व बाजार के सटोरियों की सोने पर पकड़ मजबूत होने से तेजी को बल मिला है। उसके बाद भी सोने में तेजी के आसार कम नजर आ रहे हैं। कुछ समूह द्वारा भारतीय करंसी से सोना खरीदी करने से भी तेजी को बल मिला है। वर्ष 2015 में विश्व की अर्थव्यवस्था डगमगा जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। चीन में ब्याज दर में कटौती से भी सोना तेज हुआ है। विश्व बाजार के सटोरियों की सोने पर पकड़ मजबूत बनी हुई है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सोने में अच्छी खासी तेजी लाने में सफल हो जाते है। सोने में अनेक कारणों से तेजी के संयोग कम हैं।

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भारत में लंबे समय से आम धारणा बन गई है कि सोने के भाव काफी नीचे होंगे। जिससे निवेशक तो लगभग बाहर हो गए हैं। कालेधन पर फिलहाल केंद्र सरकार की सख्त निगाहें लगी हुई हैं। अगले 2-3 दिन बाद भारत में लग्नसरा का सीजन समाप्त हो रहा है। एक माह तक ग्राहकी ठंडी रहेगी। सोना महंगा होने पर दैनदिन की खरीद बिक्री करने वाले भी बाजार से बाहर हो जाते हैं। ऐसे में तेजी के आसार कैसे बन सकते हैं। आखिर बिना मांग के बाजार को कब तक संभालकर रख सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल के भावों में आ रही गिरावट बन रहा है।

वर्तमान में विश्व स्तर पर पेट्रोलियम भाव का युद्ध चल रहा है। यह युद्ध विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर खतरा माना जा रहा है। इस वजह से वर्ष 2015 में विश्व की अर्थव्यवस्था बिगड़ सकती है। रुपया भी मजबूत होने के बजाय कमजोर होता जा रहा है। गुरुवार को रुपया 10 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया था। कच्चा तेल बेचने वाले देशों को निर्यात घटने से हालत खराब होना स्वाभाविक है। जिसका प्रभाव आभूषणों की मांग पर भी पड़ सकता है। हाल ही में सोने में तेजी की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि भारतीय करंसी से सोने की खरीदी की जा रही है।

संभवत: जनवरी अंत या फरवरी तक यह खरीदी जारी रह सकती है। सोने में ऐसी अचानक मांग ने भी तेजी को बल दिया है। केंद्र सरकार ने सोने के आयात पर 80:20 की शर्त को हटा लिया है। इससे बाजार की अनिश्चितता समाप्त हो गई है। इसका सीधा प्रभाव तस्करी आयात पर पड़ेगा। तस्करी आयात घटेगा व प्रीमियम भी घट जाएगा। तस्करी आयात के बदले डॉलर का अनधिकृत भुगतान होता ही है। अधिकृत आयात से भी डॉलर का भुगतान होगा तथा आयात शुल्क भी मिलेगा।

जो व्यापारी सोने का आयात कर रहे हैं, वे आयकर भी देंगे। अधिकृत आयात के बाद बाजार में लाव-लाव की स्थिति समाप्त हो जाती है। सराफा व्यापारी मांग के अनुसार खरीदी करेंगे। जोखिम होने पर खरीदी और कम करेंगे। वर्ष 2014 में सराफा बाजारों की मांग को तस्करों ने पूरा किया है। संभव है वर्ष 2014 में सोने का अधिकृत आयात 740 टन के करीब रहेगा, जबकि 2015 में 850 टन हो सकती है। इतनी मांग भी तब होगी, जबकि विश्व की अर्थव्यवस्था में बिगाड़ न आए तथा सोने के भाव निवेशकों के मनमाफिक बने रहे। यह संभव है कि वर्ष 2015 में सोने के बिस्किट के बजाय आभूषणों की बिक्री अधिक हो।

ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश अमीर किसान रबी की तैयारी में जुटे हुए हैं। फिर भावों में तेजी के बाद खरीदी से हाथ खींच लेते हैं। आगामी एकाध माह लग्न न होने से भी ग्रामीणों ने सराफा बाजार से मुंह मोड़ लिया है। ग्रामीणों की धारणा सोना-चांदी में मंदी की बनी हुई है।

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