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गठित होगा राष्ट्रीय निवेश और ढांचागत कोष

ढांचागत क्षेत्र में निवेश के लिए अब पूंजी की किल्लत नहीं होगी। सरकार ने राष्ट्रीय निवेश एवं ढांचागत कोष (एनआइआइएफ) के गठन को मंजूरी दे दी है। इस कोष से रेल और हाउसिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश आसान हो जाएगा।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 10:08 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । ढांचागत क्षेत्र में निवेश के लिए अब पूंजी की किल्लत नहीं होगी। सरकार ने राष्ट्रीय निवेश एवं ढांचागत कोष (एनआइआइएफ) के गठन को मंजूरी दे दी है। इस कोष से रेल और हाउसिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश आसान हो जाएगा। केंद्र ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक में राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप विधेयक के मसौदे में आधिकारिक संशोधनों को भी हरी झंडी दे दी है।

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सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने एनआइआइएफ को मंजूरी दी। राष्ट्रीय निवेश एवं ढांचागत कोष एक ट्रस्ट की तरह होगा। यह भारतीय रेल वित्त निगम तथा राष्ट्रीय आवास बैंक जैसी ढांचागत वित्त कंपनियों में निवेश के लिए बाजार से कर्ज उठाएगा। इसके बाद ये वित्त कंपनियां इस अतिरिक्त पूंजी को निवेश के लिए उपलब्ध करा सकती हैं।

कैबिनेट ने जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक में भी राज्य सभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप कुछ बदलावों को मंजूरी दी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि जीएसटी के लागू होने पर राज्यों को पांच वर्ष तक क्षतिपूर्ति की जाएगी। माना जा रहा है कि केंद्र ने यह संशोधन पश्चिम बंगाल मंे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और ओडिशा की बीजद जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन पाने के लिए किया है। कैबिनेट ने राज्यों द्वारा जीएसटी की दर से एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने और टैक्स दरों की सीमा नियमों के जरिये तय करने संबंधी बदलाव को भी मंजूरी दी। भाजपा सांसद भूपेंदर यादव की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की प्रवर समिति ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में जीएसटी दर अधिकतम 20 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया था।


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