वैश्विक मुश्किलों का शिकार शेयर बाजार, दो माह की सबसे बड़ी गिरावट
मुंबई। शेयर बाजार में मंगलवार को पिछले दो माह की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दुनियाभर से निराशा बढ़ाने वाली खबरें आने के कारण विदेशी फंडों और खुदरा निवेशकों ने बड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली की। इस वजह से सेंसेक्स 431 अंक और निफ्टी 129 अंक गिर गया।
मुंबई। शेयर बाजार में मंगलवार को पिछले दो माह की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दुनियाभर से निराशा बढ़ाने वाली खबरें आने के कारण विदेशी फंडों और खुदरा निवेशकों ने बड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली की। इस वजह से सेंसेक्स 431 अंक और निफ्टी 129 अंक गिर गया।
रियल्टी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई। बीएसई का रियल्टी इंडेक्स 5 फीसद गिरकर बंद हुआ। तेल-गैस, कैपिटल गुड्स, मेटल और फार्मा शेयरों में भी भारी बिकवाली हुई। एक्सचेंज के सभी सूचकांकों में 0.5-5 फीसद तक गिरावट आई।
सेंसेक्स और निफ्टी में समान रूप से 1.58 फीसद गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 431.05 अंक गिरकर 26,775.69 के स्तर पर बंद हुआ। 8 जुलाई के बाद सेंसेक्स में यह सबसे बड़ी गिरावट है। उस दिन यह सूचकांक 517.97 अंक गिरा था। निफ्टी भी 8,017.55 के स्तर पर रहा, जिसमें 128.75 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। 8 जुलाई को निफ्टी में 163.95 अंकों की गिरावट आई थी। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स करीब 2 फीसद, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 2.5 फीसद गिरकर बंद हुए।
ये शेयर सबसे ज्यादा गिरे
डीएलएफ 6.75 फीसद, सिप्ला 4.4 फीसद, टाटा मोटर्स 3.9 फीसद, टाटा स्टील 3.5 फीसद और एशियन पेंट्स 3.1 फीसद गिरे। बैंक ऑफ बड़ौदा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओएनजीसी, बीपीसीएल, गेल, हिंडाल्को, पीएनबी, आईसीआईसीआई बैंक, ल्यूपिन, एलएंडटी, बीएचईएल, टाटा पावर, सन फार्मा, ऐक्सिस बैंक और कोल इंडिया जैसे शेयर 2.9-2 फीसद तक गिरे।
इनमें आई तेजी
एचसीएल टेक्नोलॉजीज, विप्रो, एनटीपीसी और टेक महिंद्रा जैसे शेयरों की ट्रेडिंग 1.25-0.1 फीसद बढ़त पर बंद हुई।
भारी गिरावट के कारण
1. विदेशी निवेशकों ने लिवाली कम कर दी और शुद्घ बिकवाल बन गए। ब्रोकरों का कहना है कि इस रिपोर्ट के बाद निवेशकों ने शेयर बेचने शुरू कर दिए और तगड़ी मुनाफावसूली की।
2. वायदा और विकल्प [एफ एंड ओ] सौदों की निपटान तारीख 25 सितंबर है। विश्लेषषकों के मुताबिक आम तौर पर इससे पहले हमेशा गिरावट आती है।
3. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में मैन्युफैक्चरिंग उद्योग का उत्पादन जून 2013 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया, जबकि फ्रांस की सर्विस इंडस्ट्री कमजोर प़़ड गई है।
4. यूक्रेन में संघषर्ष तेज होने, रूस पर प्रतिबंध और हंगरी में बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की वजह से पश्चिमी देशों की कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
5. विकासशील देशों के शेयर बाजार गिरकर पिछले तीन माह के निचले स्तर पर आ गए। घरेलू शेयर बाजार के रुझान पर इसका गहरा असर हुआ।