सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक को दी सहारा पर कार्रवाई की छूट
अपने मुखिया सुब्रत राय की रिहाई के लिए पैसों के इंतजाम में लगे सहारा समूह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ रिजर्व बैंक को सहारा के खिलाफ कार्रवाई करने की छूट दी बल्कि संपत्तियां बेच कर अर्जित की गई रकम को सेबी के
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपने मुखिया सुब्रत राय की रिहाई के लिए पैसों के इंतजाम में लगे सहारा समूह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ रिजर्व बैंक को सहारा के खिलाफ कार्रवाई करने की छूट दी बल्कि संपत्तियां बेच कर अर्जित की गई रकम को सेबी के खाते में जमा कराने के बजाय निवेशकों को लौटाए जाने पर सहारा से जवाब तलब भी किया। सुब्रत राय व कंपनी के दो अन्य निदेशक करीब एक साल से जेल में हैं।
न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने ये आदेश रिजर्व बैंक की अर्जी पर सुनवाई के बाद जारी किए। रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया है कि सहारा ने सहारा फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) की उन संपत्तियों को बेच दिया है, जिन्हें निवेशकों के हित सुरक्षित रखने के लिए जमानत के तौर पर सुरक्षित करने का आदेश दिया गया था।
पीठ ने रिजर्व बैंक की दलीलें सुनने के बाद सहारा की पैरोकारी कर रहे वकील से कहा कि आप अपने कार्यों से अपनी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। कोर्ट में आपके खिलाफ सेबी, आयकर व अब रिजर्व बैंक भी आ गया है। आपने जमानत के तौर पर सुरक्षित रखी संपत्ति बेच कर पैसा सीधे निवेशकों को कैसे वापस कर दिया। कोर्ट ने तो संपत्तियां बेचने से मिली रकम सेबी के खाते में जमा कराने का आदेश दिया था। सेबी के खाते में रकम जमा कराने के बजाय निवेशकों को लौटाकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है।
सहारा की दलील थी कि आरबीआइ यही चाहता है कि निवेशकों का पैसा वापस दिया जाए और कंपनी ने वही किया है। इसमें गलत क्या है। वैसे, संपत्ति बेचने से मिले सारे पैसे सेबी के खाते में जमा न कराने का सहारा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया। कोर्ट ने आरबीआइ से कहा है कि वह एसआइएफसीएल की संपत्तियों के निस्तारण के बारे में कानून के मुताबिक सहारा के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। पीठ सहारा का पक्ष भी सुनेगी।
कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया है कि वह हलफनामा दाखिल कर बताए कि उसने संपत्तियां बेचने से मिली रकम सेबी के खाते में जमा कराने के बजाय निवेशकों को कैसे वापस कर दी। कोर्ट ने निवेशकों को लौटाई गई रकम का भी सहारा से ब्योरा मांगा है। साथ ही, सहारा को सुरक्षित रखी संपत्तियों को बेचने से भी रोक दिया है।
इससे पहले आरबीआइ ने कहा कि सहारा के ऑडिटर के पत्र के मुताबिक एसआइएफसीएल की 484.6 करोड़ की संपत्तियां सहारा इंडिया कंपनी को ट्रांसफर की गईं। करीब एक हजार करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनकी निवेश अवधि पूरी हो गई है। लेकिन कोई दावेदार नहीं आया है। सहारा ने आरबीआइ का विरोध करते हुए कहा कि ऑडिटर की रिपोर्ट सही नहीं है। कंपनी ने उन संपत्तियों से अर्जित रकम निवेशकों को वापस कर दी है।
इस बीच, कोर्ट ने सुब्रत राय को अन्य संपत्तियों का सौदा करने के लिए कॉन्फ्रेंस हाल की सुविधा देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह पहले सौदे का प्रस्ताव सेबी के वकील व न्यायमित्र को दें। कोर्ट की टिप्पणी थी कि सहारा निजी स्वतंत्रता के बजाय बिजनेस को ज्यादा अहमियत दे रहा है। रकम का इंतजाम करने के लिए ही संपत्ति बेचने की सुविधा दी गई थी। सहारा संपत्तियां बेचकर रकम क्यों नहीं एकत्र करता। इस मामले में कोर्ट 13 मार्च को फिर सुनवाई करेगा।
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