500 रुपये से हार गया एक हजार का नोट
हेडिंग पढ़कर चौंकना लाजमी है, लेकिन है एकदम सच। इस्तेमाल के मामले में देश में 500 रुपये का प्रचलन ज्यादा है। मांग के मामले इसने 1,000 रुपये के नोट को काफी पीछे छोड़ दिया है। इतना ही नहीं रहन-सहन का स्तर बढऩे की वजह से नोटों का भाव भी गिरा
नई दिल्ली। हेडिंग पढ़कर चौंकना लाजमी है, लेकिन है एकदम सच। इस्तेमाल के मामले में देश में 500 रुपये का प्रचलन ज्यादा है। मांग के मामले इसने 1,000 रुपये के नोट को काफी पीछे छोड़ दिया है। इतना ही नहीं रहन-सहन का स्तर बढऩे की वजह से नोटों का भाव भी गिरा है। इस कारण बाजार में ज्यादातर लोग पांच सौ का नोट लेकर निकलते हैं।
महंगा हुआ लिविंग स्टैंडर्ड
एसोचैम की स्टडी रिपोर्ट के अनुसार नोटों के बाजार में प्रचलन के मामले में 500 के नोट कज्ी ज्यादा मांग है। वहीं 1000 रुपये के नोट को पसंद करने वाले लोग कम हैं। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत का कहना है कि पिछले कुछ सालों में रहन-सहन का स्तर बढ़ा है या फिर कह सकते हैं कि महंगा हुआ है। बीते दो से तीन साल में नोटों का भाव गिरा है। महिलाएं भी आजकल घर से बाहर निकलते समय 500 का नोट लेकर निकलती हैं। जबकि मध्यम वर्गीय लोग तो सब्जी, चाय, कॉफी जैसी चीजों पर ही 500 का नोट लुटा देते हैं।
500 का नोट नंबर-1 पर
स्टडी रिपोर्ट के अनुसार बाजार में मौजूद कुल नोटों में से 46 फीसद 500 रुपये के नोट हैं। जबकि 39.3 फीसद मांग के साथ 1,000 रुपये का नोट दूसरे नंबर पर है। आंकड़े मार्च-2015 तक के हैं। एसोचैम ने आरबीआइ के सर्वे के हवाले से कहा है कि 100 रुपये के नोट की खरीद क्षमता कम है। इसके बाद 50 रुपये और 20 रुपये का नंबर आता है। स्टडी में 10 रुपये का नोट सबसे आखिरी पायदान पर है।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, पिछले कुछ साल में जीवनशैली की लागत में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है कि आज आप छोटे नोटों से चीजें और सर्विसेज नहीं खरीद सकते।
नोट और बाजार में इस्तेमाल का अनुपात
नोट -- हिस्सेदारी फीसद में
500 -- 46
1,000 -- 39.6
100 -- 10.5
50 -- 1.2
20 -- 0.6
(नोट - करेंसी की वैल्यू रुपये में और बाजार में उनके इस्तेमाल का अनुपात फीसद में। मार्च 2013 में कुल 50 और 20 रुपये के इस्तेमाल का फीसद क्रमश 4.7 फीसद और 5.2 फीसद था।)