Move to Jagran APP

जानिए, बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कराने के फायदे और नुकसान

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करना आम निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। इसका सीधा कारण एक तो बैंक एफडी के जरिए किए जाने वाले निवेश का जोखिमरहित होना है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 01:39 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 01:42 PM (IST)
जानिए, बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कराने के फायदे और नुकसान

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करना आम निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। इसका सीधा कारण एक तो बैंक एफडी के जरिए किए जाने वाले निवेश का जोखिमरहित होना है और दूसरा निश्चित अवधि के एक निश्चित और आकर्षक ब्याज दर पर रिटर्न मिलना है। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि इन खूबियों के बाद भी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के कुछ नुकसान भी हैं।

loksabha election banner

समझिए फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के फायदे और नुकसान

फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के फायदे

जब कोई व्यक्ति किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाना है तो यह निवेश पूरी तरह से जोखिम रहित होता है। यह निवेश किसी भी तरह से लिंक नहीं होता। फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि पूरी होने के बाद निवेशक को पूरी राशि ब्याज के साथ वापस मिल जाती है। ब्याज दर सीनीयर सिटीजन के लिए कुछ अधिक होती है। साथ ही बैंक भी समय-समय पर इसकी समीक्षा करके बाजार के अनुरूप फिक्स्ड डिपॉजिट की दर को तय करते हैं। तमाम बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट की दर में मामूली अंतर होता है। कई बार बैंक ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर ऊंची दर की पेशकश करते हैं।

पढ़े, ये हैं क्रेडिट पॉलिसी की प्रमुख बातें, जानिए GST और सातवें वेतन आयोग पर क्या बोले “राजन”

फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के नुकसान

बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्याज प्राय: महंगाई की दर के बराबर ही होता है और कई बार इस दर से कम भी रह जाता है। 2012-2014 के दौरान भारत की औसत महंगाई दर 9.76 फीसदी रही है। एक्सपर्ट निवेश विकल्प पर रिटर्न जोड़ते समय उपभोक्ता महंगाई की औसत दर 8 फीसदी के बराबर मानते हैं। ऐसे में बैंक एफडी पर अगर निवेशक को 8 – 8.5 फीसदी के आसपास का ही ब्याज मिलता है तो निवेशक बमुश्किल महंगाई दर को पछाड़ पाता है। ऐसे में निवेशक को निवेश पर मिलने वाला रिटर्न शून्य हो जाता है।

बैंक एफडी पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल होता है। आमतौर पर लंबे समय के लिए किया जाने वाला निवेश करमुक्त होता है। लेकिन बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्याज मौजूदा स्लैब में ही करयोग्य होता है। ऐसे में मिलने वाला शुद्ध रिटर्न और घट जाता है।

इस तरह महंगाई की दर से कम रिटर्न और मिलने वाले रिटर्न पर भी टैक्स लगने की वजह से शुद्ध कमाई का घट जाना ये दो ऐसे कारण हैं जो बैंक एफडी जैसे जोखिमरहित निवेश को बेहतर नहीं बनाते।

एक्सपर्ट का मानना है कि यदि आपने कम उम्र में निवेश शुरू किया है तो लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करना आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसके इतर अगर उम्र या किसी अन्य कारण आपके जोखिम लेने की क्षमता नहीं है तभी आपको एफडी जैसे विकल्पों को चुनना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.