राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीनी निवेशकों को किया भारत आमंत्रित
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीनी निवेशकों को सरकार के 'मेक इन इंडिया' और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है।
ग्वांगझू, आइएएनएस/प्रेट्र। चीन के दौरे पर गए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीनी निवेशकों को अनुकूल वातावरण का भरोसा दिलाते हुए उन्हें सरकार के 'मेक इन इंडिया' और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, उन्होंने बुधवार को चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। वह पार्टी के प्रांतीय सचिव हु शिनहुआ से मिले। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी चीन की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन भारत-चीन व्यापार मंच की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'हम भारत में आपके निवेश को मुनाफे वाला बनाने में मदद करेंगे। हमें दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तरक्की से पैदा होने वाले अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।
इस बैठक में दोनों देशों के उद्योगपति शामिल हुए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि सुधारों से भारत के प्रति विदेशी निवेशकों की रुचि फिर जगी है। वर्ष 2014 में भारत में निवेश में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं वर्ष 2015 में भारत सबसे बड़े वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। मुखर्जी ने कहा कि हम चीन का अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चाहेंगे जो अब 100 अरब डालर के आंकड़े को पार कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार औद्योगिक गलियारे, राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्र तथा प्रतिबद्ध मालढुलाई गलियारा स्थापित कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जा सके।
100 स्मार्ट सिटी' की पहल से भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदला जा सकेगा। मुखर्जी ने कहा, 'भारत आपको इन कार्यक्रमों में भागीदारी का न्योता देता है। चीन की कंपनियां बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण की ताकत से भारत को अपनी 'गोइंग ग्लोबल' रणनीति के लिए महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में देख सकती हैं।' भारत अपनी ओर से चीन के उपक्रमों को नए डोमेन 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' में सहयोग दे सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम चीन के बाजार में भारतीय उत्पादों की अधिक पहुंच चाहते हैं जिससे द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन हो, जो अभी चीन के पक्ष में झुका हुआ है। यह उन क्षेत्रों में अधिक जरूरी है जहां दोनों देश स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के पूरक हैं। इन क्षेत्रों में फार्मा, आइटी और आइटी संबद्ध सेवाएं और कृषि उत्पाद शामिल हैं। मुखर्जी ने इस बात पर संतोष जताया कि दोतरफा निवेश प्रवाह पर ध्यान बढ़ाया जा रहा है। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2000 में जहां यह 2.91 अरब डॉलर था, वहीं पिछले साल यह 71 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
ग्वांगदोन प्रांत की 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है जहां बड़े विनिर्माण और अन्य उद्योग स्थित हैं। इसे चीन का निर्यात का 'पावर हाउस' भी कहा जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के साथ इस प्रांत का करीबी रिश्ता है। पिछले साल शेन्जेन तथा गुजरात अंतरराष्ट्रीय वित्त टेक-सिटी-गुजरात के बीच पायलट स्मार्ट शहर सहयोग परियोजना की घोषणा की गई थी।