Move to Jagran APP

आम बजट: कई उम्मीदों पर फिर सकता है पानी

वित्त वषर्ष 2016-17 के आम बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन, लगभग तय माना जा रहा है कि यह बजट जन आकांक्षाओं से इतर होगा, यानी जेब और ढीली होगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 08:24 PM (IST)

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन, लगभग तय माना जा रहा है कि यह बजट जन आकांक्षाओं से इतर होगा, यानी जेब और ढीली होगी।

loksabha election banner

वित्त मंत्री खुद इस बात का संकेत दे चुके हैं कि बजट लोकलुभावन नहीं होगा। जहां तक महंगाई का सवाल है, कई तरह के टैक्स के बाद लगभग 125 सेवाओं को सर्विस टैक्स के दायरे में लाकर, कमाई पहले से हल्की की जा रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अर्थव्यवस्था के नजरिए से आगे रहेगा और 2016 में विकास दर 7.3 व 2017 में 7.5 फीसदी रहेगी। लेकिन, हालात ऐसे नजर नहीं आ रहे हैं।

बाजार सूने पड़े हैं। लिवाली-बिकवाली, दोनों की कमी है। सोने के दाम ऊपर-नीचे हो रहे हैं। स्टील सेक्टर मंदी से जूझ रहा है। शेयर बाजार अजीब सी ऊहापोह की स्थिति में है। उद्योगों और कारखानों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। बजट को लेकर जो संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि इस बार सरकारी खर्च बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है क्योंकि वेतन आयोग की सिफारिशों, सैनिकों की ब़़ढी पेंशन और पूंजीगत खर्च जैसे काम के लिए अतिरिक्त धन की जरूरत होगी। इसका इंतजाम करना एक चुनौती है, जिसके लिए जनता की जेब पर भी बोझ डाला जा सकता है।

बड़ी चुनौतियां

सबसे बड़ी चुनौती कॉरपोरेट टैक्स घटाने और जीएसटी लागू करना है। कॉरपोरेट टैक्स में 1 प्रतिशत भी कमी हुई तो सरकारी खजाने में 6-7 हजार करोड़ रपए की आमद घटेगी। बजट में बहुप्रचारित काले धन को लेकर भी कठोर उपाय किए जा सकते हैं। संभव है कि तय सीमा से ज्यादा नकदी रखने पर पाबंदी लगे। पिछले बजट में कालाधन का खुलासा करने और खास स्कीम लाने का ऐलान किया गया था। स्कीम भी आई लेकिन, कालाधन नहीं आया।

महत्वाकांक्षी गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का भी यही हाल रहा। योजना तो आई लेकिन सोना नदारद रहा। बड़ी संभावना

इस बजट में मनपसंद सैलरी ब्रेकअप तय होने की संभावना है। इसके लिए वैसी कंपनियां, जिसमें 40 या अधिक कर्मचारी हैं, तय कर सकेंगी कि भविष्य निधि फंड में पैसा जमा करना है या नहीं। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा के लिए मनपंसद स्कीम भी चुनने की आजादी होगी। आम आदमी के लिए.. कीमतों पर नियंत्रण, घरेलू निवेश बढ़ना, नए कारखाने खुलना, लोगों को नौकरियां मिलना, प्रति व्यक्ति आय बढ़ना और जीवन स्तर में सुधार अर्थव्यवस्था की रफ्तार मापने के संकेत होते हैं। फिलहाल इन मोर्चो पर ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है। बजट में इन सब के लिए क्या-कुछ किया जाता है, इस पर नजर रहेगी।

सस्ती चीजें भी महंगी

दाल के भाव आसमान छू रहे हैं, गेहूं, चावल से लेकर सब्जी, फल, खाद्य तेल और मसालों के भाव दुनिया में 7 साल के सबसे निचले सतर पर हैं। सस्ते में कच्चा तेल मिलने के बावजूद एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी को पूरा फायदा नहीं दिलाया। रेल, हवाई और स़़डक परिवहन में बढ़ोतरी, सभी का भार जनता पर ही है, जबकि लोगों की तनख्वाह इस अनुपात में दोगुनी होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। गृहणियों की चिंता घरेलू गृहणियों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। संभव है कि आयकर की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रपए कर दी जाए, लेकिन इससे आम आदमी को क्या फायदा होगा यह आने वाला बजट ही बताएगा। बजट से आम और खास सभी उम्मीदें करते हैं। युवा, गृहिणी, वरिष्ठ नागरिक, नौकरीपेशा, व्यवसायी, उद्यमी, सर्विस सेक्टर सभी तो उम्मीदें लगाए बैठे हैं। बजट कैसा होगा, यह बस कयासों का दौर ही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.