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बोले पवार-महीने भर बाद रोएंगे प्याज किसान

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि प्याज के आसमान छूते दाम से अभी उपभोक्ता परेशान है। महीने भर बाद दाम घटने से किसान रोना रोएंगे। इसकी किल्लत अल्पकालिक है। दो-तीन हफ्ते बाद आपूर्ति सामान्य होने से इसकी कीमतों में गिरावट आएगी। उधर, प्याज की किल्लत से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है लेकिन राज्य सरकारों को

By Edited By: Published: Thu, 24 Oct 2013 09:33 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
बोले पवार-महीने भर बाद रोएंगे प्याज किसान

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि प्याज के आसमान छूते दाम से अभी उपभोक्ता परेशान है। महीने भर बाद दाम घटने से किसान रोना रोएंगे। इसकी किल्लत अल्पकालिक है। दो-तीन हफ्ते बाद आपूर्ति सामान्य होने से इसकी कीमतों में गिरावट आएगी।

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उधर, प्याज की किल्लत से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है लेकिन राज्य सरकारों को इसकी कोई चिंता ही नहीं है। राज्यों में नेता केवल घड़ियाली आंसू बहाते हुए केंद्र सरकार को कोस रहे हैं। प्याज आयात करने वाली केंद्रीय एजेंसियों के पास अभी तक दिल्ली को छोड़कर किसी और राज्य सरकार ने प्याज मंगाने के लिए अनुरोध नहीं किया है। कीमतें आसमान छूने के बाद मची हायतौबा को देखते हुए केंद्रीय एजेंसी नैफेड ने प्याज आयात के लिए सौदे करने शुरू कर दिए हैं।

गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और खाद्य मंत्री केवी थॉमस से मुलाकात कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आपूर्ति बढ़ाने की औपचारिक मांग रखी है। बैठक के बाद पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्याज की किल्लत कुछ हफ्ते तक ही रहेगी। उन्होंने इस बात पर चिंता भी जताई कि आने वाले दिनों में प्याज की आपूर्ति इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि किसान अपना रोना लेकर यहां आएंगे।

आवश्यक वस्तु अधिनियम लगाने और अन्य प्रावधानों के बारे में पवार ने स्पष्ट कहा कि प्याज के कारोबार पर किसी तरह के प्रतिबंध की जरूरत नहीं है। जब घरेलू मंडियों में बेहतर मूल्य मिल रहा तो प्याज निर्यात का सवाल ही पैदा नहीं होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्याज का मूल्य 500 से 550 डॉलर प्रति टन चल रहा है, जबकि घरेलू मंडियों में प्याज 850 डॉलर प्रति टन बोली जा रही है।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि व मंडियों का संचालन आदि राज्य का विषय है। राज्यों ने मंडी कानून में सुधार की दिशा में कुछ नहीं किया है। मगर प्याज व आलू जैसी आवश्यक जिंसों की किल्लत पर सभी की नजर केंद्र सरकार पर होती है। आपूर्ति बढ़ाने की दिशा में आयात करने की पहल भी हो गई है, लेकिन राज्यों की ओर से प्याज आयात का ऑर्डर अभी तक नहीं मिल पाया है। इससे आयात सौदों पर अमल करना संभव नहीं होगा।


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