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योजना आयोग के नए अवतार पर हुई चर्चा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जनता से सुझाव मांगने के साथ ही सरकार ने नए योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के ढांचे पर औपचारिक विचार- विमर्श शुरू कर दिया है। मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा समेत करीब डेढ़ दर्जन विशेषज्ञों ने नई संस्था के स्वरूप को लेकर बैठक की। बैठक में एक राय से सभी ने स्वीकार किया कि ब

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 26 Aug 2014 10:16 PM (IST)
योजना आयोग के नए अवतार पर हुई चर्चा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जनता से सुझाव मांगने के साथ ही सरकार ने नए योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के ढांचे पर औपचारिक विचार- विमर्श शुरू कर दिया है। मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा समेत करीब डेढ़ दर्जन विशेषज्ञों ने नई संस्था के स्वरूप को लेकर बैठक की। बैठक में एक राय से सभी ने स्वीकार किया कि बदले परिदृश्य में आयोग के स्थान पर अब नई संस्था की जरूरत है।

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योजना आयोग में हुई इस बैठक में सभी विशेषज्ञों ने विचार रखे। राज्यों के लिए तय होने वाले योजना खर्च से लेकर मंत्रालयों और केंद्र सरकार की फ्लैगशिप स्कीमों को मिलने वाली वित्तीय मदद के मौजूदा व संभावित तौर-तरीकों पर भी चर्चा हुई। कई विशेषज्ञों ने राज्यों के योजना खर्च का काम वित्त आयोग के जिम्मे करने का सुझाव दिया तो कुछ ने इसे वित्त मंत्रालय और वित्त आयोग के बीच बांटने की सलाह दी।

बैठक के बाद सिन्हा ने केवल इतना ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस को योजना आयोग के संबंध में दिए गए वक्तव्य के संदर्भ में इस बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में योजना आयोग के नए संभावित अवतार पर चर्चा हुई। यह पूछे जाने पर कि राज्यों को धन के बंटवारे के मौजूदा सिस्टम के स्थान पर क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी?

सिन्हा ने कहा, 'यह बात आई कि जो धन का बंटवारा प्लानिंग कमीशन करता है, क्या उसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है। कौन सी वैकल्पिक व्यवस्था होगी, कैसी होगी, उस पर विस्तार से चर्चा हुई है। इस पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री को लेना है।'

बैठक में दो समूहों में चर्चा हुई। एक समूह में योजना आयोग में सदस्य रह चुके अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ शामिल थे। इस समूह की बैठक की अध्यक्षता सिन्हा ने की। इस समूह में पूर्व आरबीआइ गवर्नर बिमल जालान, पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर, पूर्व योजना आयोग सदस्य सौमित्र चौधरी और वाइके अलघ शामिल थे। दूसरे समूह में राजीव कुमार, प्रणब सेन जैसे अर्थशास्त्री शरीक थे।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से भाषण देते हुए योजना आयोग को खत्म करने की बात कही थी। मोदी के मुताबिक देश को अब एक नई संस्था की आवश्यकता है। सरकार ने इसके लिए लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। सरकार की वेबसाइट पर अब तक करीब दो हजार सुझाव इस संबंध में आ चुके हैं।


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