जन धन से जुड़कर चलेंगी बीमा, पेंशन योजनाएं
जन धन के जरिये हर नागरिक को बैंक खाता देने के बाद अब सरकार प्रत्येक नागरिक को बीमा व पेंशन की सुविधा सुनिश्चित कराने में जुट गई है। जल्दी ही इन योजनाओं को जन धन से जोड़कर शुरू किया जाएगा। वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा सचिव हंसमुख अडि़या ने दैनिक
नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। जन धन के जरिये हर नागरिक को बैंक खाता देने के बाद अब सरकार प्रत्येक नागरिक को बीमा व पेंशन की सुविधा सुनिश्चित कराने में जुट गई है। जल्दी ही इन योजनाओं को जन धन से जोड़कर शुरू किया जाएगा। वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा सचिव हंसमुख अडि़या ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि बैंकिंग समावेश के बाद अब बारी बीमा समावेश की है। प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ अंश :-
आपके लिहाज से बजट की सबसे खास बात क्या है?
-दो महत्वपूर्ण चीजें हैं इस बजट में। एक तो यूनिवर्सल सिक्योरिटी के नाम से तीन स्कीम हैं। दो बीमा और एक पेंशन की। ये तीनों सबसे सामान्य आदमी की मदद के लिहाज से लाई गई हैं। दूसरा है मुद्रा बैंक का एलान। ये दोनों ही इस देश के सामान्य और समाज के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाएंगे।
लेकिन बीमा योजनाएं तो पहले भी चल रही थीं?
-जी। लेकिन अब सरकार का फोकस इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को बीमा व पेंशन के दायरे में शामिल करने पर है। प्रधानमंत्री जन धन योजना की सफलता ने साबित कर दिया है कि इस देश के सामान्य से सामान्य व्यक्ति तक भी वित्तीय समावेशन के लाभ पहुंचाए जा सकते हैं। जन धन में99.9 फीसद लोगों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं। सरकार चाहती है कि लोगों को बचत के लिए प्रोत्साहित किया जाए और इस बचत का इस्तेमाल उनके और देश दोनों के हित में हो। इसलिए हम बैंकिंग के बाद बीमा और पेंशन के क्षेत्र में वित्तीय समावेश की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। सरकार चाहती है हर परिवार के पास बीमा योजना हो और वह पेंशन के दायरे में शामिल हो।
यह लक्ष्य कैसे हासिल होगा?
-देखिए, एक योजना शुरू हो रही है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना। इसमें केवल 12 रुपये महीना के योगदान से देश का कोई भी व्यक्ति दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा ले सकेगा। केवल आपको अपना आधार नंबर देना होगा। यही इसका केवाईसी होगा। आपको अपना नॉमिनी बताना होगा। आप आने वाले वर्षो के लिए भी बैंक को प्रीमियम काटने का निर्देश दे सकते हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 330 रुपये महीना के प्रीमियम पर प्राकृतिक मौत को भी बीमा कवर में शामिल किया गया है। इसमें आप जब चाहें प्रीमियम देकर बीमा शुरू कर सकते हैं। किसी साल प्रीमियम नहीं भरने की स्थिति में अगले साल प्रीमियम देकर फिर शामिल हो सकते हैं।
और पेंशन योजना?
-इसमें कोई भी व्यक्ति पहले से तय कर सकता है कि वह साठ साल की उम्र के बाद कितनी पेंशन चाहता है। इसके लिए 5000, 4000, 3000, 2000 और 1000 रुपये मासिक की पेंशन के पांच विकल्प हैं। पेंशन की राशि के हिसाब से उसे हर माह योगदान करना होगा। मसलन बीस साल की उम्र पर कोई इस योजना में प्रवेश करता है तो पांच हजार रुपये मासिक की पेंशन पाने के लिए 248 रुपये महीना देना होगा। साठ साल की उम्र तक वह यह राशि जमा करेगा। सरकार उस पर आठ फीसद रिटर्न की गारंटी दे रही है। इस हिसाब से कुल राशि करीब 8.5 लाख रुपये हो जाएगी। इसमें से सरकार पांच हजार रुपये पेंशन देगी। मृत्यु के बाद पेंशन लेने वाले व्यक्ति के जीवन साथी को यह पेंशन मिलेगी। उसकी भी मृत्यु हो जाने पर नामित व्यक्ति को साढ़े आठ लाख रुपये की यह राशि वापस मिल जाएगी। ये तीनों योजनाएं जन धन बैंक खाते के जरिये ही चलाई जाएंगी।
क्या मुद्रा बैंक छोटे से छोटे उद्यमी तक पहुंचेगा?
-सरकार की कोशिश है कि ऐसे लोग जो अपने दम पर अकेले ही उद्यमी के तौर पर काम कर रहे हैं मसलन मैकेनिक, कारपेंटर, नाई उन्हें अपने कारोबार के विस्तार के लिए संस्थागत तौर पर कर्ज उपलब्ध हो। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। इसलिए सरकार ने एक ऐसी संस्था का गठन करने का फैसला किया है ताकि ऐसे लोगों को सस्ता कर्ज बिना किसी परेशानी के उपलब्ध कराया जा सके। अभी सरकार ऐसे उद्यमियों को परिभाषित करने के विमर्श के दौर में है। एसएमई एक्ट में लघु इकाइयों के लिए 25 लाख और सेवा क्षेत्र के लिए दस लाख रुपये के सालाना कारोबार की सीमा है। हम चाहते हैं कि छोटे उद्यमियों के लिए सीमा इससे कम हो। उस पर अभी विमर्श चल रहा है।
बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) बड़ी समस्या के तौर पर उभरे हैं। इसके लिए सरकार क्या कर रही है?
-देखिए, बीते वर्षो में अर्थव्यवस्था की बुरी हालत और परियोजनाओं के अटकने की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए काफी बढ़ा है। यह इसलिए भी हुआ क्योंकि इन बैंकों का निवेश भी बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं में काफी अधिक था। इन परियोजनाओं को 84 फीसद कर्ज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है। कर्ज की रफ्तार भी अभी बेहद धीमी है। इसलिए फीसद के लिहाज से यह काफी अधिक दिखता है। जैसे-जैसे बैंक दोबारा कर्ज देना शुरू करेंगे और परियोजनाएं फिर से रफ्तार पकड़ेंगी, बैंकों का एनपीए भी घटेगा।
बीमा बिल पास होने के बाद उद्योग में किस तरह का बदलाव देखते हैं आप?
-सभी बीमा बिल में केवल एफडीआइ की ही बात कर रहे हैं। जबकि हमने उसमें कई ऐसे प्रावधान भी किए हैं जो सीधे ग्राहकों के हित में हैं और उनका संरक्षण करते हैं। एजेंटों और बीमा कंपनियों द्वारा की जाने वाली मिससेलिंग को रोकने के लिए दंड का प्रावधान बढ़ाया है। अब ऐसा होने पर एक करोड़ रुपये से 25 करोड़ रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है।
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