इरडा ने दी निवेश मानकों में ढील
भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों के लिए निवेश मानकों में ढील दे दी है। इसके चलते बीमा कंपनियां अब हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस फर्मो के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर सकेंगी। ऐसे निवेश को वित्त व बीमा गतिविधियों के एक्सपोजर के अंतर्गत नहीं माना जाएगा।
नई दिल्ली। भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों के लिए निवेश मानकों में ढील दे दी है। इसके चलते बीमा कंपनियां अब हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस फर्मो के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर सकेंगी। ऐसे निवेश को वित्त व बीमा गतिविधियों के एक्सपोजर के अंतर्गत नहीं माना जाएगा। इरडा ने शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे निवेशों के लिए उद्योग एक्सपोजर सीमा पूर्ववत लागू रहेगा। इसके अलावा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में सिंगल इन्वेस्टी डेट एक्सपोजर सीमा भी इक्विटी और रिजर्व के 20 फीसद तक कर दी गई है। इस सीमा को कंपनी के बोर्ड की मंजूरी लेकर और पांच फीसद बढ़ाया जा सकेगा। पहले यह सीमा 10 फीसद थी। हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में ग्रुप और प्रमोटर समूह एक्सपोजर मानक पूर्ववत लागू होंगे।
विश्लेषकों के अनुसार इरडा के कदम इन कंपनियों को लंबे समय के लिए फंड जुटाने में सहायक साबित होंगे। इरडा ने ये फैसले हाउसिंग फाइनेंस व इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों के अनुरोध पर लिया है।
बीमा ब्रोकर के रूप में काम कर सकेंगे बैंक
बीमा नियामक इरडा ने बैंकों को एक से अधिक बीमा कंपनियों के ब्रोकर के रूप में कार्य करने और उनके उत्पादों की बिक्री करने की अनुमति दे दी है। इससे देशभर में बीमा के प्रसार को बढ़ावा मिलेगा। बैंकों को इस बीमा ब्रोकिंग कारोबार के लिए किसी भी तरह की पूंजी की जरूरत नहीं होगी।
इरडा ने इसके लिए लाइसेंस की खातिर अलग से रेगुलेशन जारी किए हैं। इस लाइसेंस के लिए प्रत्येक बैंक को एक प्रिंसिपल ऑफिसर रखना होगा। यह अधिकारी जनरल मैनेजर रैंक होगा और केवल इंश्योरेंस ब्रोकर के काम को ही अंजाम देगा। एक बार जारी होने के बाद ऐसा लाइसेंस तीन साल तक वैध रहेगा। लाइसेंस अवधि का बाद में नवीनीकरण भी कराया जा सकेगा। कोई भी इंश्योरेंस ब्रोकर कारोबार शुरू करने के पहले 50 लाख रुपये की राशि बैंक में जमा करेगा। इस डिपॉजिट को बाद में भी बनाए रखना होगा।