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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: विश्व बैंक की रैंकिंग से सरकार असहमत

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में वो विश्व बैंक की ताजा रैंकिंग से सहमत नहीं है। सरकार का कहना है कि नई रैंकिंग तैयार करते वक्त केंद्र और राय सरकारों की तरफ से किए गए इन सुधारों और कदमों पर पूरी तरह विचार नहीं किया गया।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 02:41 PM (IST)
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: विश्व बैंक की रैंकिंग से सरकार असहमत

नई दिल्ली: सरकार ने स्पष्ट किया है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में वो विश्व बैंक की ताजा रैंकिंग से सहमत नहीं है। सरकार का कहना है कि नई रैंकिंग तैयार करते वक्त केंद्र और राय सरकारों की तरफ से किए गए इन सुधारों और कदमों पर पूरी तरह विचार नहीं किया गया। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बैंक की रिपोर्ट पर केंद्र और राय सरकारों के वरिष्ठ अफसरों को ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मामले में सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों का विश्लेषण करने को कहा है।

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प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने प्रगति (प्रो-एक्टिव गर्वनेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) की मासिक बैठक की। इस दौरान रायों के सभी मुख्य सचिवों और केंद्र के सचिवों को कहा कि जिन विभागों में सुधार हुए हैं, उन्हें सभी महकमों तक पहुंचाना होगा। कारोबार करना आसान बनाने के संबंध में विश्व बैंक की ताजा रैंकिंग पर हालांकि केंद्रीय वाणिय व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुझे इस बात से बेहद निराशा हुई है। न केवल केंद्र सरकार बल्कि देश के तकरीबन सभी राय कारोबार करना आसान बनाने की दिशा में काफी अधिक सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहा कि कारण जो भी रहे हों, लेकिन इन सुधारों की झलक ताजा रैंकिंग में एकदम दिखाई नहीं दे रही है।

वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘टीम इंडिया’ ने मिलजुल कर इस दिशा में काफी मेहनत की है। वे विश्व बैंक की रिपोर्ट की आलोचना नहीं कर रही हैं। परंतु अब देश को नए सिरे से भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए काम करना होगा। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत की रैंकिंग एक अंक आगे सरक कर 130 रही है। विश्व बैंक की इस सूची में कुल 190 देश शामिल हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भविष्य में यादा रायों को सुधार की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा और इस दिशा में उठाए गए कदमों का प्रचार उद्योगों के बीच बड़े स्तर पर किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में कमर्शियल कोर्ट स्थापित करने जैसे सुधार संभवत: विश्व बैंक के सिस्टम में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि अलग -अलग रायों में इनकी स्थापना अलग-अलग तारीखों में हुई है। कुछ मामलों में तो समय इसलिए भी लगा है क्योंकि भारत जैसे विशाल देश में ऐसे काम करने में वक्त लगता है। करीब 12 सुधार ऐसे हैं जो इस प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं बन पाए। उन्होंने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री के शीर्ष 50 देशों की सूची में भारत के शामिल होने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है।

डीआइपीपी सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों को विश्व बैंक इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त प्रक्रिया में शामिल नहीं कर पाया। इस तरह के करीब एक दर्जन सुधार हैं जिन पर विश्व बैंक विचार नहीं कर पाया।


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