भारत के उपभोक्ता सबसे आशावादी
भारत में उपभोक्ताओं के नजरिये में बड़ा बदलाव आया है। उनकी उम्मीदें आसमान छू रही हैं। इसके चलते वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस की सूची में बड़ा उलटफेर हो गया है। उपभोक्ता आशावाद के पैमाने पर भारत शीर्ष पायदान पर काबिज हो गया है। नौ उभरते देशों की इसी सूची
नई दिल्ली। भारत में उपभोक्ताओं के नजरिये में बड़ा बदलाव आया है। उनकी उम्मीदें आसमान छू रही हैं। इसके चलते वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस की सूची में बड़ा उलटफेर हो गया है। उपभोक्ता आशावाद के पैमाने पर भारत शीर्ष पायदान पर काबिज हो गया है। नौ उभरते देशों की इसी सूची में बीते साल वह चौथे स्थान पर था। मोदी के नेतृत्व में बनी स्थायी सरकार और महंगाई घटने से उपभोक्ताओं की उम्मीदों को पंख लगे हैं।
क्रेडिट सुइस इमर्जिग कंज्यूमर स्कोरकार्ड 2015 में ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की को शामिल किया गया। भारत में और ज्यादा लोग मानने लगे हैं कि यह बड़ी खरीद के लिए मुफीद समय है। लगातार दो साल तक स्थिर रहने के बाद 2014 में परिवारों की औसत आय में करीब दस फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इस बात में विश्वास करने वालों की भी संख्या में इजाफा हुआ है कि 2015 में उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होने के साथ वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
क्या चुनाव परिणामों से निवेश बढ़ेगा?, क्रेडिट सुइस ने कहा नहीं
सर्वे में कहा गया कि भारत में सुधारों की रफ्तार बढ़ने से उपभोक्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। इसके उलट अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने से रूस और प्रमुख लैटिन अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं पर दबाब बना है।
भारतीय खरीदार खुलेपन में आगे
इसी दिन सामने आए एक अन्य सर्वे से पता चलता है कि जब उद्योगों के साथ निजी जानकारी साझा करने की बात आती है तो भारतीय खरीदार उसमें सबसे ज्यादा खुलापन बरतते हैं। सर्वे के मुताबिक कुछ लाभ के बदले 74 फीसद ने जानकारी साझा करने की पेशकश की।