ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में पिछड़ा भारत
ग्लोबल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत को बड़ा नुकसान हुआ है। वह ग्यारह पायदान खिसक 71वें स्थान पर पहुंच गया है। ग्लोबल प्रतिस्पर्धा संबंधी सालाना सूची में भारत को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में सबसे निचला पायदान मिला है। इस सूची में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है। पिछले साल ज्यादातर समय चुनौतीपूर्ण अ
नई दिल्ली। ग्लोबल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत को बड़ा नुकसान हुआ है। वह ग्यारह पायदान खिसक 71वें स्थान पर पहुंच गया है। ग्लोबल प्रतिस्पर्धा संबंधी सालाना सूची में भारत को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में सबसे निचला पायदान मिला है। इस सूची में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है। पिछले साल ज्यादातर समय चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात का सामना करने की वजह से भारत की रैंकिंग में गिरावट आई है।
जेनेवा स्थित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ओर से यह सूची ऐसे समय जारी की गई है, जब भारत में नई सरकार ने 100 दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया है। सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाने तथा देश में कारोबार करने को आसान बनाने का वादा किया गया है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि नई सरकार के समक्ष अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के साथ देश की प्रतिस्पर्धा क्षमता को सुधारने की बड़ी चुनौती है। ग्लोबल प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट 2014-15 के अनुसार, स्विट्जरलैंड सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था है। इसके बाद सिंगापुर दूसरे और अमेरिका तीसरे पायदान पर है। फिनलैंड चौथे, जर्मनी पांचवें, जापान छठे, हांगकांग एसएआर सातवें, नीदरलैंड आठवें, ब्रिटेन नौवें और स्वीडन दसवें पायदान पर है। ब्रिक्स देशों की बात करें तो चीन ने अपनी स्थिति एक पायदान सुधारी है। वह 28वें पायदान पर है। जबकि रूस 53वें, दक्षिण अफ्रीका 56वें और ब्राजील 57वें स्थान पर काबिज हैं। फोरम का मानना है कि प्रतिस्पर्धा क्षमता को सुधारने से भारत को खासा फायदा हो सकता है। इससे उसे अर्थव्यवस्था को संतुलित करने में मदद मिलेगी। वह स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के साथ वैल्यू चेन में ऊपर की ओर बढ़ पाएगा।