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मैट पर आगे कार्रवाई न करें आयकर अधिकारी

केंद्र सरकार ने विदेशी संस्थागत निवेशकों पर पहली अप्रैल से पहले के लंबित न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के मामलों में आयकर अधिकारियों को आगे कार्रवाई करने से रोक दिया है।

By Test1 Test1Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 08:59 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 10:07 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने विदेशी संस्थागत निवेशकों पर पहली अप्रैल से पहले के लंबित न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के मामलों में आयकर अधिकारियों को आगे कार्रवाई करने से रोक दिया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिकारियों को इस संबंध में गुरुवार को एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि अधिकारी इस मामले में लंबित टैक्स की रिकवरी की कार्रवाई न करें। मंगलवार को ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) पर मैट के संबंध में एपी शाह समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का एलान किया था।

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समितिन ने एफआइआइ और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) को होने वाले पूंजीगत लाभ यानी कैपिटल गेंस मैट के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की थी। वित्त मंत्री के इसी एलान पर अमल करते हुए सीबीडीटी ने सर्कुलर जारी किया है।

इस संबंध में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि मैट के मामले में पुरानी तारीख से इसे लागू करने पर विवाद था। इसलिए यह जरूरी था कि सरकार इसकी कानूनी व्याख्या को समझे। अब सरकार ने इस संबंध में कानूनी जानकारी प्राप्त कर ली है। यही वजह है कि अब यह सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के मुताबिक, आयकर अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि एफआइआइ और एफपीआइ पर पहली अप्रैल, 2015 से पहले के मामलों में मैट का नियम लागू नहीं होगा। वित्त मंत्री ने चालू साल का बजट प्रस्तुत करते वक्त इस आशय की घोषणा की थी।

मैट को लेकर भ्रम की स्थिति तब बनी जब आयकर विभाग ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को इस टैक्स की रिकवरी के नोटिस भेजना शुरू किया। विभाग ने कुल 68 मामलों में एफआइआइ को नोटिस जारी किया। इनसे 602.83 करोड़ रुपये के बकाया टैक्स का भुगतान करने को कहा। जबकि शाह समिति का कहना है कि एफआइआइ पर पहली अप्रैल, 2015 से पहले की तारीख से मैट का प्रावधान लागू करने का कोई मामला नहीं बनता।

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