थोक महंगाई दर जनवरी में घटकर हुई -0.9 प्रतिशत
बाजार में रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के भाव भले ही नीचे नहीं आ रहे हों लेकिन आंकड़ों में थोक महंगाई दर के गिरने का सिलसिला जारी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । बाजार में रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के भाव भले ही नीचे नहीं आ रहे हों लेकिन आंकड़ों में थोक महंगाई दर के गिरने का सिलसिला जारी है। जनवरी महीने में थोक महंगाई दर घटकर -0.9 प्रतिशत पर आ गई है। हाल यह है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति बीते 15 महीने से जीरो से नीचे यानी नकारात्मक दर में बनी हुई है। महंगाई के लगातार जीरो से नीचे बनी रहने के कारण जहां सस्ते कर्ज की मांग जोर पकड़ेगी वहीं सरकार पर आगामी आम बजट में मांग को बढ़ावा देने के उपाय करने का दबाव होगा।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार थोक महंगाई दर दिसंबर में -0.73 प्रतिशत तथा पिछले साल जनवरी महीने में -0.95 प्रतिशत थी। हालांकि पिछले साल सितंबर से थोक महंगाई दर ने बढ़ना शुरु किया और चार महीने इसमें वृद्धि भी दर्ज की गई लेकिन फिर भी यह वृद्धि जीरो से नीचे ही रही। इस तरह नवंबर 2014 से अब तक थोक महंगाई दर लगातार जीरो से नीचे है।
मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनवरी में खुदरा महंगाई की दर भी घटकर 6.02 प्रतिशत पर आ गई है जबकि पिछले साल दिसंबर में यह 8.17 प्रतिशत थी। जनवरी में दलहन की महंगाई दर घटकर 44.91 प्रतिशत और प्याज की 5.51 प्रतिशत रह गयी है वहीं सब्जियों की मुद्रास्फीति 12.52 प्रतिशत तथा फलों की -17.08 प्रतिशत रही है। इसी तरह आलू की कीमतों में 17.08 प्रतिशत की कमी आई जबकि अंडे, मीट और मछलियों के भाव में 5.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मैन्युफैक्चरिंग उत्पाद और ईधन की मुद्रास्फीति भी काफी कम हुई है। जनवरी में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की मुद्रास्फीति -9.21 प्रतिशत रही।
इस बीच उद्योग संगठन फिक्की का कहना है कि सरकार को अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में फेरबदल करने से परहेज नहीं करना चाहिए। वहीं एसोचैम का कहना है कि आरबीआइ को आगामी मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें घटनी चाहिए।