क्या अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी? आईएमएफ ने कहा 'हां'
नई सरकार के गठन के बाद देश की सुस्त अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ने लगेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष 2014-15 में भारत की विकास दर 5.5 फीसद रहेगी। वहीं, अगले वित्त वर्ष 2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 6.25 फीसद रहेगी। पिछले वित्त वर्ष 2013-14 में 4.
नई दिल्ली। नई सरकार के गठन के बाद देश की सुस्त अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ने लगेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष 2014-15 में भारत की विकास दर 5.5 फीसद रहेगी। वहीं, अगले वित्त वर्ष 2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 6.25 फीसद रहेगी। पिछले वित्त वर्ष 2013-14 में 4.9 फीसद की विकास दर रहने का अनुमान है। इसके आंकड़े आने अभी बाकी हैं।
मुद्राकोष का कहना है कि सकारात्मक घरेलू कारकों से मध्यम अवधि में विकास दर फिर से सात फीसद के करीब पहुंच सकती है। आइएमएफ के सीनियर रेसीडेंट रिप्रेजेंटेटिव थॉमस जे रिचर्डसन के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के सामने कुछ जोखिम पिछले वित्त वर्ष की तरह बरकरार रहेगी और विकास दर पर इसका कुछ असर भी पड़ेगा। मगर बड़े पैमाने पर देखें तो यह जोखिम इस समय संतुलित है। महंगाई दर में कमी अर्थव्यवस्था की मजबूती में मददगार होगी।
उन्होंने कहा कि महंगाई को नीचे लाना वास्तव में महत्वपूर्ण है। इसे नियंत्रित करने में वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक की कोशिश तारीफ के लायक है। यह पूछे जाने पर विकास दर को बढ़ावा देने के लिए अगली सरकार की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को काबू में लाने, टैक्स आधार को व्यापक बनाने के साथ-साथ कारोबारी माहौल में सुधार जरूरी है ताकि भारत एक बेहतर निवेश स्थल बना रहे।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से विकास दर में सुधार दिखेगा क्योंकि इससे कारोबार की कई सीमाएं खत्म हो जाएंगी। रिचर्डसन ने कहा कि भारत में बजट घाटा लगातार बढ़ रहा है। राजकोषीय घाटे और सब्सिडी में कमी लाने की जरूरत है। सब्सिडी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालती है। रिचर्डसन ने आगामी वित्तमंत्री की प्राथमिकताएं विषय पर एसोचैम द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में यह विचार रखे। इस अवसर संगठन के प्रेसीडेंट राणा कपूर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यस्था अच्छी स्थिति में नहीं है। नई सरकार बनने के 35 दिन में वित्त मंत्री को कई बड़े फैसले लेने होंगे।