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केंद्रीय करों से भरेगा राज्यों का खजाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहकारी संघवाद और टीम इंडिया की नीति से राज्य मालामाल होंगे। राजग सरकार ने इस नीति पर अमल करते हुए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 से बढ़ाकर 42 फीसद करने की 14वें वित्त आयोग की सिफारिश मंजूर कर ली है। इसके बाद राज्यों को

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 25 Feb 2015 08:06 AM (IST)Updated: Wed, 25 Feb 2015 08:33 AM (IST)
केंद्रीय करों से भरेगा राज्यों का खजाना

जागरण ब्यरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहकारी संघवाद और टीम इंडिया की नीति से राज्य मालामाल होंगे। राजग सरकार ने इस नीति पर अमल करते हुए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 से बढ़ाकर 42 फीसद करने की 14वें वित्त आयोग की सिफारिश मंजूर कर ली है। इसके बाद राज्यों को अगले वित्त वर्ष में भारी भरकम 5.26 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।

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केंद्र इस धनराशि को आम बजट 2015-16 में जारी करेगा। केंद्रीय करों में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे पिछड़े राज्यों की हिस्सेदारी कम हो गई है। इसके उलट राजस्व घाटे का सामना कर रहे 11 राज्यों को वित्त आयोग ने अगले पांच साल में भारी भरकम 1,94,821 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान देने की सिफारिश की है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर कार्रवाई रिपोर्ट संसद में पेश की। सरकार ने इसकी प्रमुख सिफारिशों को मान लिया है। जेटली ने कहा,ऐसा पहली बार है जब वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में 10 फीसद की वृद्धि की है। इससे पहले इसमें मात्र एक या दो फीसद वृद्धि होती थी। यह राजग सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

आयोग ने पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को अगले पांच साल में भारी-भरकम 2,87,436 करोड़ रुपये अनुदान देने की सिफारिश की है, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है। साथ ही आपदा प्रबंधन के लिए 61,219 करोड़ रुपये का राज्य आपदा राहत कोष बनाने की सिफारिश भी की है। इसमें केंद्र 55,097 और राज्य 6,122 करोड़ रुपये का योगदान करेंगे। केंद्रीय करों में अब तक राज्यों की हिस्सेदारी मात्र 32 फीसद थी। इसके आधार पर चालू वित्त वर्ष में राज्यों को मात्र 3.48 लाख करोड़ रुपये मिले थे।

14वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद इस धनराशि में 1.78 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। अगले वित्त वर्ष में राज्यों को भारी भरकम 5.26 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। वैसे, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु का केंद्रीय करों में हिस्सेदारी का प्रतिशत पहले की तुलना में कम हो गया है। केंद्रीय करों में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी कम होने का असर उस पर इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि वित्त आयोग ने हिमाचल के राजस्व घाटे को देखते हुए अगले पांच साल में राज्य को 40,625 करोड़ अनुदान देने की सिफारिश की है।

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