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सरकारी कंपनियों में विनिवेश व बंदी की प्रक्रिया शुरू

सरकार के बयान के मुताबिक कंपनी की परिसंपत्तियों की बिक्री सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों के मुताबिक की जाएगी।

By Atul GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 07:32 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 08:01 PM (IST)
सरकारी कंपनियों में विनिवेश व बंदी की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने बुरी तरह घाटे में पहुंच कर बीमार हो चुके सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने और उनमें रणनीतिक विनिवेश की शुरुआत कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत पंप्स एंड कंप्रैसर में रणनीतिक विनिवेश के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही कैबिनेट ने हिंदुस्तान केबल लिमिटेड को बंद करने के लिए 4.7 हजार करोड़ रुपये के पैकेज के प्रस्ताव पर भी सहमति की मुहर लगा दी है।

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विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार ने बुरी तरह घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की एक सूची तैयार की है। इसके तहत जिन कंपनियों में सुधार की एकदम गुंजाइश नहीं है उन्हें बंद कर दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने ऐसी कंपनियों की सूची भी तैयार की है जिनमें रणनीतिक विनिवेश किया जाना है। रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकारी कंपनियों में सरकार की 50 फीसद तक भागीदारी सीधे निजी निवेशकों को सौंपने का प्रावधान है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में भारत पंप्स में सरकारी हिस्सेदारी के एक हिस्से को रणनीतिक भागीदार को सौंपने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इलाहाबाद स्थित इस कंपनी के लिए 111.59 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है। इस राशि से अवकाश प्राप्त कर्मचारियों के बकाया जिनमें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी आदि शामिल हैं, का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा कंपनी पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) का भी बकाया है। उसका भुगतान भी इस राशि से किया जाना है।

एक अन्य फैसले में कैबिनेट ने हिंदुस्तान केबल्स को बंद करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी। इसके तहत कंपनी के लिए 4777.05 करोड़ रुपये का एक वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है ताकि कर्मचारियों के वेतन का भुगतान, समय से पहले रिटायरमेंट के लिए स्कीम लायी जा सके। इसके अलावा इस राशि का इस्तेमाल कंपनी के कर्ज को इक्विटी में तब्दील करने के लिए भी किया जाएगा। सरकारी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों को 2007 के वेतनमान पर स्वैच्छिक सेवानिवृति स्कीम की पेशकश की जाएगी।

सरकार के बयान के मुताबिक कंपनी की परिसंपत्तियों की बिक्री सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों के मुताबिक की जाएगी। कंपनी को मिले वित्तीय पैकेज के तहत 1309.90 करोड़ रुपये नकद मिलेंगे जबकि 3467.15 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद कर्ज को इक्विटी में बदलने के काम आएगी।

इस कंपनी में जनवरी 2003 के बाद से उत्पादन नहीं हो रहा है। कंपनी के सभी कर्मचारियों के वेतनमान में भी 1997 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। साल 1952 में स्थापित इस कंपनी की चार इकाइयां हैं रुपनारायणपुर और नरेंद्र पुर पश्चिम बंगाल में, हैदरबाद तेलंगाना में और नैनी उत्तर प्रदेश में हैं। इसकी स्थापना सरकारी टेलीकाम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से की गई थी।

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